झारखंड, जब नौकर के यहां 31 करोड़ तो मालिक का क्या होगा

झारखंड, जब नौकर के यहां 31 करोड़ तो मालिक का क्या होगा

 झारखंड गरीब राज्य कहलाता है लेकिन यहां के मंत्री अन्य राज्यों की तरह ही बड़े अमीर हैं ।
टेंडर घोटाला में ईडी ने संबंधितों पर छापा मारा तो ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के नौकर जहांगीर आलम के फ्लैट से लगभग 31 करोड रुपए नगद प्राप्त हुए हैं ।
नोट गिनने के लिए पांच मशीन और बैंक के कर्मचारियों को लगाना पड़ा है। इनके एक और सहयोगी के यहां 3 करोड़ नगद मिले। जिनसे उम्मीद थी कि यह लोग कम से कम भ्रष्टाचार नहीं करेंगे वही लोग जब सत्ता में आ गए तो भ्रष्टाचार करने में कोई कमी नहीं रख रहे हैं। हमेशा सवर्ण और पैसे वालों को गाली देने के साथ नुकसान पहुंचाने की राजनीति करनेवाले, आदिवासी तथा पिछड़ा का माला जपने वालों ने  हमेशा  यह रोना रोया कि सवर्ण ने हमारा शोषण किया।
 दैव योग से आज इन पिछड़ों आदिवासियों वंचितों के हाथ में प्रदेशों की बागडोर है लेकिन यह तो भूखे भेड़ियों की तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुके हैं ।
मोदी सरकार डायरेक्ट बेनिफिट की स्कीम और व्यवस्था लाती है तो दूसरी ओर यह अपना डायरेक्ट बेनिफिट कर रहे हैं।
 गरीब आदिवासी शोषित वंचित पिछड़ा इनका अब तो कम से काम भला होना चाहिए था क्योंकि अब प्रदेश में इन्हीं की सरकार है तो यह  पहले से भी ज्यादा भ्रष्टाचार शोषण चालू कर दिए हैं।
 एक बार एक आदिवासी नेता ने मुझसे कहा था कि नेता अपना विकास कर ले यही विकास है कि तर्ज पर यह लोग चल रहे हैं ।
करोड़ों करोड़ रुपए इनका नौकर स्कूटी में बैठकर  बैग भर कर लाता था और घास फूस की तरह अलमारी में भर देता था। हमारे यहां कहावत है ललहा पाइस पनही जरवा खौदत जाय  वही यह चरितार्थ कर रहे हैं ।
एक बार में एक आदिवासी तबके से आने वाले पत्रकार मित्र से बात कर रहा था पता चला उनके बड़े भाई एक बड़े अधिकारी हैं बात भ्रष्टाचार की चली यह पत्रकार महोदय भी उन लोगों के भ्रष्टाचार की बात कर रहे थे मैंने कहा कि प्रयास यह होना चाहिए कि दूसरों को खाने की वजह हमें अपने स्तर पर ही इमानदारी दिखानी चाहिए। दूसरे पत्रकार मित्र ने कहा कि इनके भाईसाहब भी काफी माल कमा रहे हैं मैंने कहा कि भाई सवर्ण ने बड़ी बेईमानी की है अब तो सत्ता आपके हाथ में है तो कम से कम आप तो ईमानदारी दिखाइए जिससे आपके गरीब भाई बांधवो की मदद हो सके तो इनका जवाब था कि क्यों न कमाई करें आप लोगों ने इतने वर्षों तक शोषण किया है अब हम भी कमायेंगे। यह देखकर लगा कि अपनी बेईमानी का ठीकरा  दूसरों के सिर पर ही फोड़ना ठीक है। यहां भी हाल यही है इन आदिवासी नेताओं ने अपने गरीब भाइयों की मदद करने की वजाय  खुद को ही रिजर्व बैंक बना लिया है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू ”
07 मई 2024
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