पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को न जीते जी सम्मान न मरने पर शांति

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को न जीते जी सम्मान न मरने पर शांति

 लंबी बीमारी के बाद 92 वर्ष की उम्र मे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 तारीख को निधन हो गया। आज 28-  12- 2024 को  दिल्ली के निगम बोध घाट में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी बेटी उपेंद्र ने इन्हें मुखाग्नि दी, राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री के साथ अन्य गणमान्य तथा समान्य लोगों की उपस्थिति में यह अंतिम संस्कार संपन्न होने के साथ ही कांग्रेस ने उनकी अंतिम यात्रा को भी विवादित बना दिया। न जीते जी सम्मान न मरने के बाद शांति।
 मनमोहन सिंह जी अर्थशास्त्री थे इसमें कोई संशय नहीं है बुद्धिमान भी थे इसमें भी कोई शंका नहीं लेकिन गांधी परिवार की सेवा में और अपने स्वार्थ में लोगों का कहना है कि झुकने की जगह बिछ जाते थे।
उस समय भ्रष्ट आपराधियों की बहुतायत के बीच  देश के लिए अच्छा था कि एक पढ़ा लिखा आदमी प्रधानमंत्री था। लेकिन निर्देशित कम पढ़े लिखे लोगों से होते थे इसलिए परिणाम वह नहीं आए जिसकी उम्मीद की जा सकती थी। पत्रकार संजय बारू की किताब  एक्सीडेंटल पीएम पर फिल्म बनी है यह फिल्म मनमोहन सिंह पर ही आधारित है किताब में कहीं-कहीं यह बताने का प्रयास किया गया है कि मनमोहन सिंह जी अपनी कमर सीधी भी करना चाहते थे। किताब और फिल्म मे प्रयास किया गया था कि मनमोहन सिंह को कुछ स्वाभिमानी बताया जाए लेकिन ऐसा हो नहीं सका मनमोहन जी के स्वाभिमान को जागृत करने की जगह  इस किताब और फिल्म ने कांग्रेस और उनके मालिक – मालकिन के चरित्र को और अधिक उजागर कर दिया है ।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अपनी किताब में लिखते हैं कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बनाया गया कि वह एक योग्य व्यक्ति थे बल्कि इसलिए बनाया गया कि एक बूढ़े और सरकारी नौकर आदमी थे जिनसे कांग्रेस के युवराज की राजनीति को कोई खतरा नहीं था ।यह सच भी है की योग्यता में तो हजारों मे थी लेकिन गैर राजनीतिक व्यक्ति पूर्व सरकारी कर्मचारी और उम्रदराज जिसमें युवा युवराज को कोई हानि नहीं होगी मनमोहन जी ही थे।
 मनमोहन जी ने रबर स्टैंप की तरह जो मालिक – मालकिन ने कहा वही किया एक बार गलती से दागी अपराधी सांसदों के खिलाफ कुछ बोलने सोचने और बिल आने का प्रयास किया तो उसे भी राजकुमार ने सरेआम मंच में फाड़ दिया।
लोकतांत्रिक रुप से चुनी सरकारों को कमजोर तथा अपने हित के देशों मे कमजोर अस्थिर सरकार रखने का कार्य जान सोरस तथा उसका फाउंडेशन करता है।कांग्रेस पार्टी पर उसकी भी बड़ी मेहरबानी है।देश के सनातन हिन्दुओं के विरोध मे भी कांग्रेस ने हमेशा काम किया है उसमें भी जान सोरस हमेशा मददगार रहा है ।ऐसी ही नीच मदद देश मे काम्युनल बिल लाकर किया जा रहा था जिसमें मालिक मालकिन , मनमोहन जी और इनकी बिटिया का भी आशीर्वाद जान सोरस के माध्यम से था।
 जैसा कि कांग्रेस पार्टी का अल्पसंख्यक प्रेम है तो मुसलमानों के लिए भी इन्होंने खूब काम किया। झुकने के लिए कहा तो लेट गए स्थित वाली बात की तरह इन्होंने ही देश के प्रधानमंत्री रहते हुए कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। कांग्रेस की बांटों राज करो वाली नीति और सनातनियों को दोयम दर्जे का दिखाने का काम इन्होंने भी खूब किया। देश के प्रधानमंत्री के लिए सभी जनता समान होनी चाहिए तो यह  प्रधानमंत्री कह रहे थे कि पहला हक मुसलमान का है।
 स्व. नरसिंह राव प्रधानमंत्री के निर्देशन में इन्होंने जो काम किया  वही इनका सम्मान है ।एक योग्य प्रधानमंत्री ने अपने कर्मचारी से अच्छा काम लिया इसमें नरसिंह राव जी की क्षमता थी। बाद मे तो इन्होंने देश को कमजोर ही किया है। नरसिंह राव जी का नाम न हो इसलिए कांग्रेस और इनके इकोसिस्टम ने काम किया है। इनकी उपलब्धि नरसिंह राव जी के निर्देशन किया गया कार्य ही है नही तो  मालिक – मालकिन ने इन्हें ना तो जीते जी सम्मान दिया और नहीं अब मरने पर शांति से रहने दे रहे हैं।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
28 दिसंबर 2024
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