संशय खत्म इलाहाबाद बैंक अब इंडियन बैंक होगा
संशय खत्म इलाहाबाद बैंक अब इंडियन बैंक होगा
मोदी – योगी की सरकार चल अपने संकल्प पत्र के अनुसार ही रही है । योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर उसका पुराना नाम जो लगभग सनातन धर्म के साथ है प्रयागराज किया तो लोगों ने विरोध किया लेकिन नाम प्रयागराज हो गया होना भी ऐसा ही चाहिए था क्योंकि यह भारत की सनातन संस्कृति और पहचान का क्षेत्र है।
इसके बाद लोगों ने सवाल उठाया कि रेलवे स्टेशन का नाम तो अभी भी इलाहाबाद है इसको लेकर सरकार पर कटाक्ष और बेमतलब की टिप्पणियां भी होती रहीं लेकिन पिछले माह लोगों की यह मांग भी पूरी हो गई और केंद्रीय सरकार रेलवे मंत्रालय ने इलाहाबाद नाम से संबंधित अपने तीनों स्टेशनों का नाम प्रयागराज नाम से कर दिया।
बकायदा इनके साइन बोर्ड भी स्टेशन में चमकने लगे ।रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया में भी इसको शेयर किया और लोगों की यह मांग पूरी हो गई कटाक्ष करने वालों का मुंह भी बंद हो गया ।
लेकिन कुछ खोजी स्वभाव के लोग इसके बाद इलाहाबाद बैंक के नाम के पीछे पड़ गए। खोजी लोग कहते थे कि अब इलाहाबाद बैंक के नाम का क्या होगा ? तो उसका भी 4 मार्च को कैबिनेट ने निर्णय के साथ निपटारा कर दिया गया ।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के 4 बैंकों में विलय की मंजूरी दे दी है यह मंजूरी एक अप्रैल 2020 से प्रभावी हो जाएगी जिसके तहत इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में कर दिया गया है अब इलाहाबाद बैंक इंडियन बैंक के रूप में जाना जाएगा ।ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय, सिंडीकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय, आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय भी इसी के साथ हुआ है।
खैर ! नाम को लेकर लोगों के बीच में जो भी कानाफूसी थी वह तो थी ही वह अब खत्म भी हो गई ।लेकिन असली वजह तो आर्थिक फायदे का है इस विलय के फलस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र में 7 बड़े बैंकों का सृजन होगा और इनके एकीकरण से सरकार के अनुसार 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार के साथ इनकी राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच होगी। सरकार के अनुसार इससे वैश्विक स्पर्धा, राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती, बड़े स्तर के ऋणों में सहायता, कार्यकुशलता में बढ़ावा ,डिजिटल क्षमता के विकास से देश के बड़े समूह तक पहुंच के साथ बैंकिंग क्षमता का विकास होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
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