अफगानिस्तान में तालिबान समर्थक भी अब बेटियों को पढ़ाना चाह रहे हैं ।

अफगानिस्तान में तालिबान समर्थक भी अब बेटियों को पढ़ाना चाह रहे हैं ।

 अफगानिस्तान के तारतम्य मे  मेसाचुसेट्स विश्वविद्यालय की रिपोर्ट कहती है कि अब कट्टर तालिबान समर्थक भी अपनी बेटियों को पढ़ाना चाह रहे हैं ।
तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान के कुछ पिता यह चाह रहे हैं कि उनकी बेटियां पढ़े, दुनिया जाने, बेटियों को भी नौकरी तथा कारोबार करने की आजादी मिले।यह अच्छी बात है वैसे भी इस्लाम विरोधाभासी जीवन जीने की कला में है । मोहम्मद साहब ने जिस महिला से शादी की वह खुद एक कारोबारी तथा विधवा महिला थी पर्दे में रहकर तो व्यापार  कारोबार हो नहीं सकता था ।वहीं तालिबान जैसे इस्लाम को मानने वाले संगठनों ने  महिलाओं की आजादी में रोक लगा दी है। बेटियों की पढ़ाई पर रोक लगा रखी है ।वैसे भी इन जाहिलों को पता है कि अगर बेटियां पढ़ लिख जाएंगी तो सवाल-जवाब करेंगी, गलत सही की बात करेंगी तो हम अनपढ़, जाहिल मुल्ला उनका क्या जवाब और कैसे देंगे। क्योंकि इस्लाम को मानने वाले ऐसा भी मानते हैं कि अगर स्त्रियों में स्वतंत्रता आ गई तो इस्लाम खत्म हो जाएगा ।अब रिपोर्ट यह कहती है कि जो लोग तालिबान के कट्टर समर्थक हैं उनमें से 45 प्रतिशत महिलाओं के अधिकारों के भी समर्थन का स्वागत करते  हैं ।  पिताओं पर फर्स्ट डॉटर इफेक्ट हो रहा है ।तालिबान शासन में बेटियों को पढ़ाई का अधिकार मिले इसके लिए बेटियों के पिता संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने पेन-पाथ नाम से संगठन बना लिया इसके जरिए वह लोगों को लड़कियों की पढ़ाई की जरूरत के प्रति जागरुक करते हैं। प्रदर्शन भी करते हैं। अफगानिस्तान में कई पिता अपनी बेटियों को तालिबानी सरकार से छुपा कर पढ़ा रहे हैं ।
अगस्त 2021 से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान का दोबारा शासन हो गया है।  इसके साथ ही इन्होंने महिलाओं के कई अधिकार खत्म कर दिए थे। महिलाओं की नौकरियां चली गयीं, पढ़ाई बंद कर दी गई, बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई, इसके चलते बहुत से परिवारों ने  देश छोड़ दिया ।लेकिन ज्यादातर यही रहने के लिए मजबूर हैं ।ऐसे में वह प्रयास कर रहे हैं की लड़कियों की शिक्षा की दिशा में कुछ मजबूती के साथ काम करें ।
इस्लाम को मानने वाले तालिबानी मानवता का बड़ा नुकसान कर चुके हैं बामियान की मूर्तियों के खंडन को विश्व समाज कभी माफ नहीं कर सकेगा। इन जाहिलों की लड़ाई ही सभ्यता से है अब देखना यह है कि जाहिलों के समर्थक पिता अपनी बेटियों को इनके बीच में कैसे पढ़ा बढ़ा पाते हैं।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
22 जुलाई 2024
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