वोट की ताकत ने बनाया मुर्मू को राष्ट्रपति
वोट की ताकत ने बनाया मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति
देश की जनता ने भाजपा को वोट देकर केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई इसके पहले अटल बिहारी वाजपेई की सरकार अन्य दलों के समर्थन से बन चुकी थी। इन्होंने अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाकर विज्ञान को राष्ट्रपति भवन पहुंचाया। मुसलमान, वैज्ञानिक, सर्वधर्म समभाव, सादगी की प्रतिमूर्ति अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति को विज्ञान वर्किंग राष्ट्रपति बनाया जिसकी जरूरत समय को थी। फिर आ गई कांग्रेस की अन्य दलों की समर्थन वाली सरकार उन्होंने पहले अपने विश्वासनीय प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बनाया तथा दूसरी बार मजबूरी में प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाया कि इन्हें प्रधानमंत्री न बनाना पड़े। यह फर्क है अटल सरकार के राष्ट्रपति और मनमोहन सरकार के राष्ट्रपति में। अब आते हैं मोदी सरकार के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दूसरे श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के ।वोट की ताकत है जिसमें कोई समझौते के बिना मोदी ने देश के पिछड़े समाज को ससम्मान राष्ट्रपति का पद दिया। मोदी का पिछला कार्यकाल और वर्तमान दोनों ही सनातन संस्कृति भारत के सम्मान के कार्यकाल हैं और उसमें मुख्य सहभागिता राष्ट्रपति की भी है। अभी तक की राजनीतिक भारत की पहचान सनातन संस्कृत से भागने की रही है लेकिन अब ऐसा नहीं है ।प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति को महाबलीपुरम ले जाते हैं ,जापान के प्रधानमंत्री को गुजरात के मंदिर घूमा आते हैं और मंदिरों में जाकर पूरे सम्मान और आदर के साथ मत्था टेकते हैं । मोदी ने जताया है कि प्रधानमंत्री तो सबका हूं लेकिन सनातन संस्कृत की उपेक्षा समझौता पर नहीं बल्कि उसको साथ मनाते हुए। देश की जनता ने मोदी को भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री बनाया है तो उन्होंने अपने राष्ट्रपति भी ऐसे चुने है जो सनातन संस्कृत के रक्षक है । द्रौपदी मुर्मू एक ऐसी राष्ट्रपति बनी हैं जो अपने गांव रायरंगपुर के मंदिर में सुबह झाड़ू लगाती हैं । राष्ट्रपति उम्मीदवार बनते हुए उन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षता के बजाय अपने सनातन परंपरा को सम्मान दिया और पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर राष्ट्रपति के पद की जिम्मेदारी निभाने का कार्य किया ।ब्रह्मकुमारी आश्रम से जुड़ी हुई है पढ़ी लिखी हैं ।जहां एक ओर इसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों के धर्मांतरण का कार्य किया जा रहा है वहां भाजपा सरकार ने द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी देकर सनातन धर्म की रक्षा करते हुए विरोधियों पर लगाम लगाने का प्रयास किया है। सरकार को बनाने वाली वोट की ताकत है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कोई भी मंदिर जाने, पूजा करने मे संकोच नहीं करता है ।वोट की ताकत है कि जब वर्तमान 15 वें राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को शपथ ली तो अभिवादन “जोहार” के रूप में किया जो पारंपरिक आदिवासी अभिवादन है ।
वोट की ताकत ने बता दिया कि भारत का सम्मान सनातन संस्कृति है न कि छद्म धर्मनिरपेक्षता। इस वोट की ताकत का यह सुखद पहलू है कि भारत अब खुद को बताने में शर्म महसूस नहीं कर रहा है। भारत को आज अपनी भारतीयता पर गर्व है अपने हित अहित के पहले लोक कल्याण की भावना से वर्तमान राष्ट्रपति अपने देशज कवि के शब्दों के साथ जन जन को बताती हैं ।वर्तमान सरकार ने वोट की ताकत का सही उपयोग करते हुए देश हित में पहली महिला आदिवासी वह भी भारतीय सोच वाले राष्ट्रपति देकर भारत का भला किया है। भारतीय लोगों को इस वोट की ताकत को इसी तरह लगातार है स्थापित करते रहे को रखने की जरूरत है। भारत पुनः आपने गौरव स्थान को प्राप्त करें इसके लिए जरूरी है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
26 जुलाई 2022
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