बिहार एक राज्य के साथ भारत के वैभवशाली इतिहास का सुंदर भवन भी है

बिहार मे पुनः एनडीए के चेहरे के रूप में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिनांक 16 नवंबर 2020 को ले ली है। नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री बने हैं। सहयोगी दल भाजपा जनता दल यू से ज्यादा संख्या में इस बार सीट लाया है लेकिन सबसे बड़ा दल राष्ट्रीय जनता दल भाजपा से एक सीट ज्यादा लेकर उभरा है।
 इस चुनाव में भी जातिवाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिक ताना-बाना पिछले चुनावों की तरह ही रहा है लेकिन अराजक बिहार को सुशासन की ओर ले जा रहे नीतीश कुमार को सामान्य जनता और महिलाओं ने अपना समर्थन देकर बिहार को विकास और सुशासन की राह में चलते रहने  का आशीर्वाद दिया है।
 शराब अगर सरकारों के राजस्व का बहुत बड़ा सहारा है तो लाखों परिवारों को बेसहारा बनाने वाली भी यही शराब है ।ज्यादातर परिस्थितियों में शराब खराब के लिए जिम्मेदार रहती है। बिहार की बर्बादी में शराब का भी बहुत बड़ा हाथ था जिसको नीतीश सरकार ने बंद करके अंकुश लगाने का काम किया है। इसका सबसे बड़ा लाभ महिलाओं को और बच्चों को मिला है। अपराधों में कमी आई है, व्यवस्था सुधरी है इस बात को पुनः सत्ता में लाकर बिहार की महिलाओं ने बता दिया है ।
बिहार के जाहिल जातिगत गठजोड़, सांप्रदायिक उन्माद के गठजोड़, अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के गठजोड़ से इस बार बहुत कम अंतर से मुक्ति मिली है अगर कहीं यह परिणाम वितरित आते तो सामान्य जनमानस में यह बात घर कर जाती कि विकास और सुशासन कोई मायने नहीं रखते हैं केवल अनैतिक गठजोड़ से बिहार में सत्ता प्राप्त की जा सकती है।
 बिहार चुनाव के परिणाम से अभी की स्थिति में है कहा जा सकता है कि बिहार पुनः अपने गौरवशाली इतिहास को जीवित करने का दम भर रहा है। मगध साम्राज्य, नालंदा विश्वविद्यालय, बोधगया, गया  शिक्षा, धर्म, संस्कृति के कुछ महान प्रतिमान है जिनसे बिहार का अतीत और वर्तमान भरा पड़ा है ।
बिहार का विकास भारत का विकास है। मानवता का पथ प्रदर्शन है। बिहार का आदमी  गुजराती की तरह लगभग संपूर्ण विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन वर्षों से जो बिहार पर पिछड़ेपन का कलंक लगा था उसको शनैः शनैः मिटाने से उन प्रतिनिधियों के माध्यम से भारत की छवि  बाहर भीऔर निखर जायेगी। बिहार केवल एक राज्य नहीं भारत के गौरवशाली इतिहास का एक सुंदर भवन है और  नए सज धज के साथ भवन और सुंदर होगा इस चुनाव  परिणाम से यही उम्मीद की जा सकती है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
29 नवंबर 2020
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