भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उपयोग की दिशा में  गौशालाएं बन सकती हैं क्रांतिकारी सहायक

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उपयोग की दिशा में  गौशालाएं बन सकती हैं क्रांतिकारी सहायक

30 जनवरी 2020

 जनवरी माह में बजाज तथा टीव्हीएस ने अपने-अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर बाजार में उतार दिए हैं।अभी बजाज जहां पुणे में स्कूटर प्रदान कर रहा है वही टीव्हीएस ने पूना तथा बेंगलुरु में प्रदाय करने के साथ ही  उपभोक्ताओं को यह सुविधा दी है कि वह ऑनलाइन या वह इसके किसी भी डीलर के यहां ₹5000 जमा कर स्कूटर बुक करा सकता है। अभी प्रतिमाह 1000 स्कूटर बेचने का  इसका लक्ष्य है आगे इसको मांग के अनुसार बढ़ाया जाना है ।दोनों ही कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर आधुनिक हैं तथा जानकारों की राय में सफलता अर्जित करने की क्षमता रखने वाले हैं। एक लाख से  थोड़ी ज्यादा कीमत वाले यह दोनों स्कूटर के बाद अन्य कंपनियां भी जल्दी ही अपने-अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर तथा बाइक बाजार में उतारने वाले हैं ।अब यह एक सतत कार्यक्रम होगा। इलेक्ट्रिक बस ,इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक रिक्शा, इलेक्ट्रिक स्कूटर, बाइक कुल मिलाकर भारत गोग्रीन की तरफ बढ़ रहा है जो भारत के पर्यावरण तथा आर्थिक समृद्धि के लिए बहुत जरूरी है ।
भारत विशेषकर उत्तर तथा मध्य भारत आवारा जानवरों उसमें भी विशेष गोवंश की समस्या से जूझ रहा है ।गौवंश वध पर प्रतिबंध होने के कारण तथा वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा इस दिशा में कड़ाई के कारण यह आवारा गौवंश आज किसानों के लिए एक समस्या बन गए हैं इसलिए गौवंश का सफल संरक्षण आज देश की एक बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है। इनके संरक्षण के लिए जितनी संख्या मे गौशालाओं  का निर्माण होना चाहिए था वह नहीं हुआ।  वर्तमान कुछ राज्य सरकार इस दिशा में कार्यरत हैंं केंद्र का भी पूरा सहयोग है लेकिन यह गौशाला है केवल धर्मार्थ चल पाए ऐसा संभव नहीं जान पड़ता है ।गौशालाओं को स्वावलंबी बनाना जरूरी है। प्रदेश की वर्तमान कमलनाथ सरकार ने जब प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोलने का वादा किया तो ग्रामीणों तथा किसानों ने इसे सकारात्मक दृष्टि से लिया ग्रामीण जनता ने किसान ऋण माफी तथा गौशालाओं के निर्माण के वादे  के प्रतिफल के रूप में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तक बना दी है। भाजपा सरकार ने इस दिशा में काम किया था और कमलनाथ सरकार  कर रही हैं ।लगातार पंचायत स्तर पर गौशाला खुल रही हैं लेकिन यह गौशालाएं  अपने स्वाबलंबन तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में एक बहुत बड़ी क्रांतिकारी सहायक बन सकती हैं। प्रत्येक गौशाला से बायोगैस से बिजली बनाकर नेट मीटरिंग के तहत ग्रिड में डाली जा सकती है और  जितनी यूनिट गौशाला बिजली उत्पन्न करें उसे उसका पैसा दिया जा सकता है जिससे वह अपने संचालन में खर्च करें। खाद बेचे और गोबर गोमूत्र से उत्पाद बनाकर बेंचे, दूध हो तो वहां के लोग उपयोग करें बेंचे इससे गौशाला आत्मनिर्भर बनेगी  हमारा गौवंश संरक्षित होगा तथा किसान खुशहाल होगा लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
 इन गौशालाओं से सस्ता तथा पर्यावरण हितैषी ईंधन बायोगैस के रूप में प्राप्त होगा  और इससे बिजली बनाकर भारत में गो  ग्रीन की तरफ बहुत बड़ा कार्य मूर्तरूप ले सकता है ।अभी जहां यह आवारा पशु ग्रामीण तथा शहरी लोगों के लिए अभिशाप हैंं किसान की जहां खेती चौपट कर रहे हैं वहीं सड़कों पर  एक्सीडेंट का कारण बन रहे हैं उसे बायोगैस से बिजली उत्पादन  कर वरदान में बदला जा सकता है ।
इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के लिए जहां अन्य सभी विद्युत उत्पादन के तरीके सहायक तो रहेंगे ही वहां यह आवारा पशुओं की समस्या भी वरदान बन जाएगी ।भारत को अस्थिर करने मे पेट्रोलियम तेल उत्पादक देशों की बड़ी भूमिका रहती है कहीं न कहीं देश विरोधी ताकते किसी न किसी माध्यम से इन्हीं तेल उत्पादक देशों से मदद पाते हैं ।इलेक्ट्रिक वाहनों से आत्मनिर्भर भारत से इन देशविरोधी तत्वों के भी कमर टूटेगी आने वाले वर्षों में जब देश में इन इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या ज्यादा होगी उसी अनुपात में देखने को मिलेगा कि देश विरोधी ताकते बुझने के पहले फड़फड़ा कर शांत होने लगेंंगी। भविष्य के सशक्त भारत के लिए हमारे यह  इलेक्ट्रिक वाहन बड़े परिणाम मूलक रहेंंगे ।आने वाले दिनों में भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में और ज्यादा काम करने वाली है पेट्रोलियम ईंधन पर निर्भरता कम से कम करने वाली है सभी तरह के परिवहन में विद्युत या आने आने वाले समय में हाइड्रोजन चलित वाहनों का उपयोग देश करने वाला है और इस दिशा में किया गया यह प्रयास देश की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
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