स्मृति शेष हुए अभियंता, कवि ,लेखक राजेंद्र तिवारी”भारतीय”

स्मृति शेष हुए अभियंता, कवि ,लेखक राजेंद्र तिवारी”भारतीय”
सेवानिवृत्त अभियंता ,गीतकार,कवि ,लेखक  गांधीनगर उर्ररहट  रीवा निवासी श्री राजेंद्र तिवारी भारतीय का 12 अगस्त को रीवा में रात 10:00 बजे निधन हो गया। 12 अगस्त 1934 को  सागर      में जन्मे श्री तिवारी अपने जन्मदिन 12 अगस्त 2018 को इस दुनिया से अलविदा कह गए। 84 वां जन्मदिन श्री तिवारी ने अपने शुुभचिंंतको केे साथ मनाया था। साहित्य के प्रति गहरी रुचि रखने वाले श्री तिवारी जो “भारतीय” उपनाम से जाने जाते थे पेशे से इंजीनियर थे आपके दोनों बेटे भी इंजीनियर हैं  संजय तिवारी  जलसंंसाधन  विभाग मे और    सचिन तिवारी टेलीकॉम  सेक्टर मेे रीवा मे ही इंजीनियर हैं।1992 में शासकीय सेवा से निवृत्त होकर आप पूरी तरह से लेखन कार्य के लिए समर्पित हो गए थे। सन 1968 से गीत कविता आदि विधाओं में आपने लेखन प्रारंभ किया ।संस्कार भारती के अखिल भारतीय कार्यक्रमों में जबलपुर, पुणे तथा दिल्ली के मंचों पर आप ने काव्य पाठ किया ।1971 से लगातार   स्थानीय पत्र  पत्रिकाओंं मे   आपकी   रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।आप का रचना संग्रह  “गमक ”  राष्ट्रवादी रचनाओं का संग्रह  है । इस संग्रह से ही आप विन्ध्य    केे प्रतिष्ठित कवियों मे    शुमार हो गए।       आपने फिल्मों के लिए भी गीत लिखा। गीत संग्रह “अंजाम कहां ले जाएगा ” 2004 में “समझे ना यह लोग” 2009 में प्रकाशित हुआ था ।आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी आपकी रचनाओं का प्रसारण होता रहा। ” दुर्गा स्तुति “वर्ष 2003 मे “गंगा महिमा ” दोहावलियां  वर्ष 2004 में प्रकाशित हुई ।आपके गीतों की के सीड़ियां “समर्पण”,  “डार्लिंग तेरे लिए” तथा “हमारा अतुल्य भारत” रिलीज हुई हैं। आपके   गीतों की यह श्रृंखला YouTube में भी उपलब्ध है। शुभचिंतकों के बीच में “भारतीय” उपनाम से जाने वाले   श्री तिवारी जी का इस दुनिया से जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति  है।  साहित्य तथा समाज सेवा से जुड़े शुभचिंतकों ने आपको विनम्र श्रद्धांजलि दी तथा शोकसभा के कई कार्यक्रम आयोजित किए ।  दिवंगत आत्मा  की  शांति   की प्रार्थना करते हुए शुभ चिंतकों ने परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

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