भगवान रामधनी को भी पिछड़ा बना दो
मैहर उपचुनाव था ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव प्रचार में आए थे ।चुनाव प्रचार पूरे चरम पर था। कांग्रेस प्रत्याशी पटेल समुदाय का था जिसे कुर्मी में भी कहा जाता है ।चुनाव तो साम-दाम-दंड-भेद से लड़ा जाता है और जाति का गुणा भाग इसका सबसे अहम हिस्सा है ।ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने इस चुनाव प्रचार में मंच से कहा था कि मैं कुर्मी हूं आपके समाज का हूं पिछड़ा वर्ग का हूं श्रीमंत यहां पिछड़ा हो गए थे ।आखिर वोट की महिमा ने श्रीमंत जैसे महाराज को भी पिछड़ा बना कर छोड़ दिया ।अब श्रीमंत विपक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं और युवा भी ,उनसे लंबी पारी खेलने की उम्मीद रखी जा सकती है। पहचान के वो मोहताज है नहीं पुरखों ने पुस्तों से नाम कमाया है ।देश-विदेश में इनकों जाना जाता है। देश के कई राज्यों में इस परिवार का सीधे या परोक्ष शासन-प्रशासन में दबदबा है ।पार्टी चाहे पक्ष की हो या विपक्ष की इस खानदान का कोई न कोई चश्मो चिराग उसकी ज्योति बना रहता है ।इस परिवार के पास वसुधा है, यश है और विजय भी है।अथाह संपत्ति के मालिक इस परिवार के किस्से समाचर पत्रों मे छपते रहते हैं ।मुझे कुछ किस्से याद है जो समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं। एक बार की घटना है कि स्वर्गीय माधवराव सिंधिया जी विदेश यात्रा में थे वहां जिस होटल में खाना खाने गए वहां पर इनके पूर्वजों की तस्वीर लगी थी पता करने पर जानकारी दी गई कि यह तस्वीर इस होटल के मालिक की है माधवराव सिंधिया ने बताया है कि यह मेरे पूर्वज की तस्वीर है तब उन्हें बताया गया है कि तब तो आप इस होटल के उत्तराधिकारी मालिक हैं। बैंक कर्मचारियों ने बताया कि इस होटल की आय बैंक में जमा है ।माधवराव सिंधिया ने कहा कि मुझे नहीं मालूम था कि हमारा यहां होटल है ।एक घटना और मैंने पढ़ी थी प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट टूर्नामेंट होने वाला था माधवराव क्रिकेट में खासी दिलचस्पी रखते थे वही इसके प्रमुख संयोजक थे ।स्टेडियम में तैयारी निरीक्षण के लिए माधवराव आए हुए थे यहां पर उनकी अंगूठी कहीं खो गई कहते हैं कि ग्वालियर राजमहल में सभी सामानों की सूची रहती है और महाराज क्या क्या पहन कर गए हैं वह भी लिखा जाता है। जब माधवराव सिंधिया महल वापस आए तो उन्होंने बताया कि अंगूठी कहीं खो गई है माधवराव जी ने सोचा कि अंगूठी लाख खाड की होगी लेकिन दस्तावेज में दर्ज अंगूठी की कीमत करोड़ों में थी। ऐसे हमारे यहां के पिछड़ा लोगों की परम्परा से ज्योतिरादित्य जी आते हैं ।हमारा देश ऐसे ही महान नहीं है अरबों की संपत्ति का मालिक महाराजा जो पुस्तों से आज तक राज कर रहा है वह भी पिछड़ा रह जाता है ।बेचारा अरबों खरबों का मालिक जिसकी जल ,थल ,नभ सभी जगह संपत्ति ऐसे बिखरी हो जिसका अनुमान जानकारी उसे स्वयं भी ना हो फिर भी वह पिछड़ा रह गया। संविधान और सरकार के पास तो मुझे ऐसी कोई योजना नहीं दिख रही जिससे इन्हें अगली पंक्ति में लाया जा सके, अगड़ा बनाया जा सके ।अब भगवान ही इन्हें उठाकर पिछड़े से अगड़ा बना सकता है। विरोधी को विरोधी की ही भाषा में जवाब देते हुए हमारे मुख्यमंत्री ने भी कहा कि मैं भी पिछड़ा ।राजे महाराजे सामंत एक पिछड़े को मुख्यमंत्री पद पर नहीं देख पा रहे हैं इनसे सहा नहीं जा रहा है कि कोई किसान पुत्र इस गद्दी पर बैठे ।सही भी है श्रीमंत की तीन पुस्त से भी ज्यादा राज कर चुकी हैं और श्रीमंत कह रहे हैं कि मै पिछड़ा तो मुख्यमंत्री जी को तो अभी 3 पंचवर्षीय ही मुख्यमंत्री के रूप मे हुए हैं।अगर श्रीमंत पिछड़े हैं तो हमारे मुख्यमंत्री जी भी पिछड़े, देश के सभी उच्च पदों पर बैठे लोग पिछड़े हैं कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों पूर्व मुख्यमंत्री उनके सांसद, विधायक ,मंत्री, पुत्र, पुत्री सभी पिछड़े ।अगड़ा है तो पंडित रामधनी ।रामधनी रीवा में रहता है देश के सभी गांव शहर में रहता है नंगे बदन रहता है लंगोटी लगाता है कंधे में गंदा सा जनेऊ डाले रहता है और ठंडी में दोनों हाथों को दुआ मांगने की मुद्रा में उठा कर कंधे को चपेटे रहता है ठंडी मिटाने का बहुत तगड़ा तरीका ।काम मिला तो ठीक नहीं तो भीख मांग कर गुजारा ।जैसा रामजी ने चाहा वैसे इनकी जिंदगी बड़े प्यार से रोज खींची जाती है।कोई भी मांगलिक कार्य हो तो भीख से मिले हुए पैसे और संवेदनशील व्यक्तियों की मदद से यह उस पर चार चांद लगा लेते हैं ।परिवार भी कुछ मजदूरी कर लेता है जिससे वर्ष भर इनकी रहीसी बनी रहती है। ज्यादातर तो यह पैदल मार्च करते हैं लेकिन कभी-कभी टेम्पो में बैठकर सफर हो जाता है ।टेंपो वाले ने अगर किराया नहीं लिया तो जीभर आशीष देते हैं ,अगर आधे में मान गया तो भी आशीष अच्छा आदमी था आधे किराए मे मान गया और अगर कोई आधुनिक, समता मूलक, समाज सुधारक ,जाति प्रथा उन्मूलक, दुनिया से भेदभाव का समूल नाश करने वाला प्रगतिवादी विचारों से पला-बढ़ा, दुनिया को एक रंग में रंगने की चाह रखने वाला, जिसने कसम खाई है कि मैं ऐसी दुनिया के निर्माण का भागीदार बनूंगा जहां संपूर्ण समानता होगी। ऐसी विचारधारा वाला जब कहता है कि पूरा किराया दो नहीं तो टेंपो से उतार लो उसको भी रामधनी कुछ दबे स्वर में आशीष देते हुए कहते हैं टेम्पो पानी से तो चलता नहीं डीजल पेट्रोल लगता है महंगाई बहुत ज्यादा है ।इस रामधनी का अंगड़ा होना सामान्य व्यक्ति को समझ नहीं आएगा। समझने के लिए आध्यात्मिक और दिव्य दृष्टि होना चाहिए ।यह दोनों जरूरी बाते को संविधान और सरकारों ने बहुत अच्छी तरह से समझ लिया है। ऐसे समझदारों ने बताया कि इसके पास रामधन है और रामधन सबसे बड़ा धन है और यह रामधन भी इसके नाम के साथ जुड़ा है इसको कहीं जाने की भी जरूरत नहीं है 24 घंटे यह धन इसके साथ घंटे की तरह लटकता रहता है और क्योंकि इस धन के सामने सब धन धूल समान बताए गए हैं तो रामधनी सबसे धनवान हुए। अब तो सबको इनका अगड़ापन समझ मे आ गया होगा। लेकिन मुझे इस आगड़े रामधनी का अगड़ापन अच्छा नहीं लगता ।इस रामधनी का अगड़ापन देख कर मुझे लगता है कि भगवान इसको पिछड़ा बना दें और सिंधिया जैसे पिछड़ों का मान रखते हुए उनको रामधनी जैसा अगड़ा बना दे।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू”