हिन्दी मे मेडिकल की पढ़ाई भारत का सशक्तिकरण
हिंदी मे मेडिकल की पढ़ाई भारत का सशक्तिकरण
“निज भाषा उन्नति आहे सब उन्नति का मूल”। हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है और अगर इसमें सभी तरह की शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध हो तो है सुखद बात है ।भारत का ज्यादातर भाग हिंदी भाषी है। अन्य क्षेत्रों में अंग्रेजी वहां की मुख्य भाषा जैसी काम कर रही है। दक्षिण मे अंग्रेजी सरल संपर्क भाषा का काम करती लेकिन हिंदी लगभग यहां भी सब लोग समझ लेते हैं। इन क्षेत्र की भी ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में भी वहां का सरकारी तंत्र तकनीकी शिक्षा प्रदान कर सकता है अंग्रेजी को नकारे बिना। अंग्रेजी को नकारने की जरुरत नही है लेकिन हिंदी को दुत्कारा भी नहीं जाना चाहिए। आज तक जो हो रहा था कि अंग्रेजी सर पर चढ़कर चिड़ा रही थी हिंदी और अन्य भाषाएं अपने अपमान पर खुद से पूछ रही थीं कि हमारी गलती क्या है। मध्यप्रदेश ने मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी मे प्रारंभ देश के बहुत बड़े तबके को हीन भावना से निकाला है ।पहले तो यह होता रहा है कि फिजिक्स, केमिस्ट्री,गणित, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान पेपर में पास होने वाला छात्र अगर अंग्रेजी नहीं पास कर पाता था उसका चयन मेडिकल में नहीं होता था। जबकि यह संपर्क भाषा है और मुख्य विषय मे छात्र उत्तीर्ण है। अंग्रेजी भी उसको आ रही है यह बात अलग है कि कम आ रही है जो आगे सुधर जायेगी।जो भी छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने जाता है उसको इतनी अंग्रेजी आती है कि वह समझ सके लेकिन हिंदी में वह अपने विचारों को उड़ान भी दे सकता है। वह सोच सकता है कि इस क्षेत्र मे और क्या किया जा सकता है। अपने देश में वैसे भी डॉक्टरों की कमी है ।ज्यादा चिकित्सा सुविधा अन्य क्षेत्रों में पहुंच सके उस दिशा मे यह कदम प्रभावी होगा। गुलामी की मानसिकता से भी हमारे युवाओं को मुक्ति मिलेगी। अभी देश के बाहर जाने वाले छात्र वहां की भाषा सीखते हैं और फिर मेडिकल की पढ़ाई करते हैं उन्हें देश में ही हिंदी भाषा में अपनी मेडिकल की पढ़ाई के अवसर प्राप्त होंगे। हिन्दी मे पढ़ाई के माध्यम से युवा और युवाओं के माध्यम से देश का सशक्तिकरण होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
16 अक्टूबर 2022
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