जेएनयू बन गया है भारत विरोध का स्थाई अड्डा

जेएनयू बन गया भारत विरोध का स्थाई अड्डा

 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली पढ़ाई से ज्यादा आजकल भारत विरोधी कार्यो के लिए जाना जाने लगा है। हाल ही में जेएनयू की इमारतों में ब्राह्मण और बनिया विरोधी नारे लिखे गए। साथ ही स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज की इमारत में तोड़फोड़ भी की गई है। नारों में लिखा गया है कि ब्राह्मण परिसर छोड़ो। रक्तपात होगा ब्राह्मण भारत छोड़ो और ब्राह्मण और बढ़िया हम तुम्हारे पास बदला लेने आ रहे हैं।यह बात अलग है कि यह विश्वविद्यालय पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर है जो स्वयं ब्राह्मण थे।
 वैसे सवर्ण में ब्राह्मण ,क्षत्रिय, बनिया को बताया जाता है और जब भी गाली दी जाती थी तो क्षत्रिय को भी  जोड़ा जाता था लेकिन जेएनयू के नारे में क्षत्रियों को छोड़ दिया गया। अब चाहे क्षत्रियों से डर कर उन्हें भारत छोड़ने की धमकी न दी गई हो या फिर वामपंथियों ने छत्रियों को भाजपाई न मानते हों।
 भाजपा के विरोध में भारत को तोड़ने की ताकते भाजपा के शासन और उसके बढ़ते जनाधार से परेशान हैं। उनकी रोजी-रोटी जो  अच्छी खासी  चल रही थी उसमें काफी कुछ लगाम लग चुका है। ऐसे में खुद को बचायें रखने के लिए कुछ तो मुद्दा उठाना है।
 इस विचारधारा के लोग पहले गरीबों के चंदे के दम पर आगे बढ़ते हैं और जब सत्ता पा जाते हैं तो संस्थाओं को तहस-नहस कर एक अराजक वातावरण पैदा कर देते हैं।  धन-धान्य से परिपूर्ण समाज मे इस संस्था द्वारा  देश की संपदा मे  लूट मचाई जाती है। कुछ दिनों तक तो इनका टके सेर भाजी टके सेर खाजा चलता है इसके बाद समाज संस्थान देश गरीब हो जाता है और जिन गरीबों के चंदे के बल पर अमीरों की संपत्ति गरीबों के बांटने के नाम पर है सत्ता में आते हैं वह गरीब अब और गरीब हो जाता है । क्योंकि अमीर तो नष्ट हो गए हो जाते हैं और अमीरों के पुरुषार्थ से  कामगारों के  परिश्रम से चलने वाले सारे काम ठप होने से गरीब और गरीब हो जाता है।
 जेएनयू ऐसी ताकतों का अड्डा है जो समृद्ध होते भारत को फिर गरीबी के दलदल में धकेलने का षड्यंत्र रच रहे हैं ।सामाजिक समरसता बिगाड़ कर भारत के प्रगति पर रोक लगाना चाहते हैं। देश के गृह मंत्रालय को चाहिए कि ऐसी देश विरोधी  कार्य मे लगी ताकतों को खोज कर उन्हें उचित सजा देना चाहिए जिससे अन्य षड्यंत्र कारियों का मनोबल पहले से ही टूट जाए ।जिससे भारत को तोड़ने का सपना उनके साथ ही टूट जाए। ऐसी षड्यंत्रकारी ताकतों का समाज में खुला घूमना अच्छा नहीं है इसके लिए जेल ही सही जगह है। विघटनकारी ताकतों को समाप्त कर जेएनयू का शुद्धिकरण जरूरी है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
02 दिसंबर 2022
Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *