छत्तीसगढ़ रायपुर के डे भवन को विवेकानंद स्मारक के रूप मे संरक्षित करने की जरूरत है

रायपुर के डे भवन को शीघ्र विवेकानंद स्मारक के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है।

 वर्तमान भारत में हिंदू धर्म जो सनातन धर्म का एक सरलीकृत नाम है स्वामी विवेकानंद को याद किए बिना अधूरा है ।युवा संन्यासी स्वामी विवेकानंद ने परतंत्र भारत के समय जब सब जगह भारत की जग हंसाई हो रही थी ,मान सम्मान दीन हीन हो चुका था, हिंदू धर्म के विरोधियों तथा विधर्मियों द्वारा इसे तुच्छ  निरूपित किया जा रहा था उस समय स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो में जिस तरह हिंदू धर्म की विजय पताका फहराई थी उसने संपूर्ण राष्ट्र को  अपने गौरव प्राप्त के लिए उद्देलित कर दिया था।
स्वामी विवेकानंद के बचपन का लगभग 2 वर्ष वर्तमान छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डे भवन में बीता था। पिछले वर्ष जब मैं पहली बार रायपुर गया तो मेरे मन मे यहां जाने के विशेष अभिलाषा थी। स्वामी जी का संपूर्ण साहित्य पढ़ने का मुझे सौभाग्य से अवसर प्राप्त  हुआ है ।मुझे याद था कि वे  जबलपुर  के रास्ते रायपुर गए थे ।
रायपुर पहुंचने के बाद मैंने जगह जगह लोगों से इस जगह के बारे मे पूंछा ज्यादातर लोगों ने अनभिज्ञता जताई थी ।रामकृष्ण मिशन के कुछ कर्मचारी भी है जो यह नहीं बता पाए थे कि डे भवन कहां स्थित है ।उसका कहना यह था कि  नाम तो सुना हैं लेकिन हम वहां गए नहीं है।
मैंने किराए की टैक्सी ले रखी थी ड्राइवर को मैंने बताया कि रायपुर में बूढ़ापारा के आसपास यह जगह है । बूढ़ापारा तालाब ही अब विवेकानंद सरोवर जाना जाता है । मालवीय नगर से बूढ़ापारा के बीच यह जगह है । पास में पुलिस चौकी है वहां मैंने पुलिस वाले से पूछा कि भाई साहब जिस जगह स्वामी विवेकानंद बचपन मे रहे हैं वह डे भवन कहां है ? उन्होंने सही जानकारी दी बोले बस थोड़ा आगे बायें हांथ मे ही एक स्कूल है वही है डे भवन  उसके गेट मे डे भवन लिखा भी है।
  विद्यालय संचालित घर  डे भवन पहुंचने के बाद मैंने वहां के व्यवस्था मे लगे  लोगों से जानकारी चाही मैंने बताया कि मैं एक पत्रकार हूं और स्वामी जी की यहां से जुड़ी स्मृतियों के बारे में आप लोगों से  कुछ जानकारी प्राप्त करना चाहता हूं जिनको मै लोग  समाज के साथ साझा कर सकूं।  एक  सज्जन  हमारे साथ भवन दिखाने के लिए साथ हो गए । उन्होंने वह कमरा दिखाया जहां  स्वामी जी रहते थे। उस कमरे मे एक  परिवार इस समय रह रहा था परिवार की महिला और बच्चों ने बड़े उत्साह से स्वामी जी का कमरा दिखाया। यहां रखी हुई सारी चीजें  पुरानी ही थी स्वामी जी की एक फोटो लगी है वह भी पुरानी है लेकिन है बाद की । पुराना बिस्तर भी उसी समय का लग रहा था कुर्सी घर की अलमारी  सब उसी समय के हैं। डे भवन काफी अच्छी हालत में है ।यहा विद्यालय संचालित है । ऊपर की मंजिल मे वह कमरा है जहां स्वामी जी अपने माता पिता परिवार के साथ रहते थे । इसके बगल मे भी एक कमरा है सामने भी और इनके बीच मे थोड़ी सी खुली छत है। यहां पर स्वामी जी के समय से जुड़ी हुई वस्तुओं को देखना  सुखद  अनुभव था ।
रायबहादुर भूतनाथ डे   बूढ़ापारा रायपुर के भवन  मे हरिनाथ अकादमी का विद्यालय संचालित है ।मालवीय रोड से बूढ़ा तालाब वर्तमान विवेकानंद सरोवर की ओर जाने वाली सड़क से बिल्कुल लगा यह भवन है जहां स्वामी जी आए थे तब उनकी उम्र  14 वर्ष की थी। इनके पिता पेशे से वकील थे और उसी सिलसिले में भूतनाथ डे के साथ उनके काम से सन 1877 मे इनके पिता जी यहां आए थे ।बाद में उनका पूरा परिवार आया। जबलपुर से रायपुर की यात्रा बैलगाड़ी से की थी जिसका वर्णन विवेकानंद साहित्य में मिलता है ।
भवन को स्मारक बनाने की बात संयुक्त मध्यप्रदेश के समय सन 1988 से  चल रही थी जो अब जाकर साकार होगी । छत्तीसगढ़ सरकार ने भवन को अपने देखरेख में ले लिया है । सरकार ने विद्यालय के लिए दूसरी जगह दे दी है ।5 करोड़ की लागत से डे भवन स्वामी   विवेकानंद स्मारक तथा संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा । यह अलग बात  है कि इस कार्य मे समय लग रहा है। कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाया है ।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
19 दिसंबर 2020
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