सोने के अंडे से चूजे निकाल लो मुर्गी बूढ़ी हो रही

कहानी तो सबको पता है कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को लालच मे मारना नहीं चाहिए। अंडे लेते रहने के साथ अब उसके आगे की बात की जाए। मुर्गी ने अंडे बहुत दिए उनको  मुर्गी के मालिकों  ने  बाजार में जो  भाव मिला उसमे बेच भी दिया ,लगातार बेच भी रहे हैं। मुर्गी को ज्यादा से ज्यादा दाना भी खिलाया गया जिससे वह कुपोषण की शिकार ना हो और वह बराबर अंडे देती रहे ।मुर्गी ने लगातार अंडे दिए भी और अभी भी वह सोने के अंडे दे रही है लेकिन कहते हैं समय सबसे बलवान है आखिर मुर्गी का भी एक जीवन है अंडा देने की उसकी भी क्षमता है, उमर है, अब मुर्गी की उम्र ढलने लगी है। होशियार मालिक को चाहिए कि वह मुर्गी के बांझ होने या मरने से पहले कुछ अंडों से चूजे निकाल ले जिससे सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की पीढ़ी आगे बढ़ सके और सोने के अंडे का कारोबार आगे भी चलता रहे।
 राजनीति के मुद्दे भी कुछ इस तरह के ही होते हैं कोई भी मुद्दा एक समय तक वोट के रूप में सोने का अंडा देता है लेकिन धीरे-धीरे मुद्दा बांझ होने लगता है । राममंदिर का भी  मुद्दा एक ऐसा ही मुद्दा है। राम मंदिर का मुद्दा आज की भाजपा के निर्माण में सबसे बड़ा आधार है। यह करोड़ों हिंदुओं की  आस्था का विषय है इसलिए हिंदुओं ने भाजपा का जमकर सहयोग किया। एक घटना साझा करना चाहूंगा मेरे बाबा जी जो अब इस दुनिया में नहीं है लगभग 18 वर्ष पहले 90 वर्ष की उम्र में अयोध्या जी जाकर रामलला के दर्शन करना चाहते थे उनकी प्रबल इच्छा को देखकर उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अयोध्या जी दर्शन के लिए भेजा गया वहां पहुंचने के बाद वहां की व्यवस्था देख कर वह बड़े दुखी हुए ।वर्षों से अपने आराध्य की  जन्म स्थली देखने के लिए स्वप्न पाले हुए उस श्रद्धालु को जब रामलला टेंट में पड़े दिखे तो उसका व्यथित होना स्वाभाविक था। बाबा जी ने कहा कि जिस भगवान राम का नाम लेकर हमारी दिनचर्या शुरू और अंत होती है यहां तक की जन्म और मृत्यु भी उसी आराध्य की स्मृति से चलती है उसकी यह दुर्दशा ।वह पुराने कांग्रेसी थे लेकिन इस भावनात्मक विषय को लेकर वह भी भाजपा को मत देने लगे थे और लोगों को भी प्रेरित करते थे ।इस तरह का यह भावनात्मक विषय है इस विषय ने भाजपा को आज की ऊंचाई तक पहुंचाने में सबसे ज्यादा मदद की है बाकी के विकास कार्य सहायक मात्र हैं। लेकिन अब लगता है कि अगर इस विषय में भाजपा सरकार सार्थक कदम नही उठाती  तो उसे यही मुद्दा पुनः पूर्व की स्थिति में ला देगा। वर्तमान में जो राम जन्म भूम को लेकर स्थित बन रही है वह कुछ इसी विषय की ओर इंगित करती है अभी कुछ दिन पूर्व सर्वोच्च न्यायालय मे राम जन्मभूमी प्रकरण की सुनवाई का विषय था लोगों को उम्मीद थी कि वह अब वह इस विषय की सुनवाई जल्दी करेगा लेकिन न्यायालय ने सुनवाई आगे बढ़ाते हुए साथ ही यह भी कह दिया कि यह विषय हमारी प्राथमिकता में नहीं है। यही बिंदु दुखद है न्यायालय जब छोटे छोटे विषय को अपनी प्राथमिकता में लेता है जैसे कौन से पटाखे फूट आएंगे कितने बजे तक छूटेंगे, होली के रंग में कौन सा उपयोग होगा सूखी होली होगी गीली होगी इतनी देर तक होगी, पुरुष पुरुष आपस में महिला महिला आपस में शादी करें और ना जाने कितने मुद्दों पर तो  कोर्ट की बड़ी प्राथमिकता रहती है ।आतंकवादियों के लिए तो आधी रात में प्राथमिकता के आधार पर कोर्ट खुलती है लेकिन उसी कोर्ट  के लिए यह प्राथमिकता का विषय नहीं है ।जजों की  उम्र से पुराना प्रकरण उनकी प्राथमिकता में नहीं है। ऐसे में न्यायालय से इस विषय पर निर्णय में कोई आशा रखना बेमानी लगने लगा है ।अब सरकार का यह दायित्व बनता है कि जिस विषय को लेकर वह इस मुकाम तक पहुंची हैं उसको हल करने का प्रयास करे। सरकार को मिले जनादेश में यह प्रमुख विषय रहा अब मुझे जो दिखाई दे रहा है अगर सरकार ने इस विषय में सार्थक कदम नहीं उठाया तो लोकसभा चुनाव में सरकार को बड़ा नुकसान होगा अगर सार्थक कदम उठाए जाते हैं तो विधानसभा चुनावों में भी लाभ होगा और लोकसभा में तो होना ही है ।अगर इस विषय पर कुछ नही किया गया तो पार्टी की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा हो सकता है । चाहे कोई कितनी भी विकास की बातें क्यों न कर ले भावनात्मक विषय विकास से ऊपर ही रहता है। यह विषय राष्ट्रीय पहचान का विषय  है अटल जी के जिन भाषणों को सुना सुना कर जनता को उद्वेलित किया जाता है उन भाषणों का भी यही विषय है। राम जन्म भूमि विषय से पार्टी या सरकार का हटना या इसे प्राथमिकता में न रखना एक बड़ा आत्मघाती कदम होगा । इस विषय पर सार्थक और समय रहते हुए किया गया प्रयास इनको वर्तमान विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव में भी  मददगार होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “अलखू”
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