सतना पत्रकार दल ने किया रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट का अवलोकन
रीवा संभाग के गुढ़ तहसील के ग्राम बदवार मे विश्व की सबसे बडी सौर परियोजना निर्माणाधीन है। जिसका कार्य अंतिम चरण में है। निर्माणाधीन 750 मेगावाट की रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना का बुधवार को सतना जिले के पत्रकारों ने भ्रमण कर अवलोकन किया। पत्रकारों के दल को अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना के एकमे कम्पनी के जी.एम. अनिल मोडे और डिप्टी मैनेजर इलेक्ट्रीकल प्रियम सोनी द्वारा सौर प्लांट का भ्रमण कराया गया तथा पत्रकारों को सौर प्लांट की तकनीकी जानकारी दी गई। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार द्वारा रीवा जिले में गुढ़ तहसील में 750 मेगावाट की सौर परियोजना स्थापित की जा रहीं है। यह परियोजना तहसील ग्राम बदवार, बरसैता देश, बरसैता पहाड़, रामनगर पहाड़ एवं इटार पहाड़ की 1270.137 हेक्टेयर शासकीय एवं 335.730 हेक्टेयर निजी भूमि कुल 1605.867 हेक्टेयर भूमि पर किया जा रहा है।
परियोजना के क्रियान्वयन हेतु मध्यप्रदेश शासन की संस्था मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड एवं भारत सरकार की संस्था सोलर एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया की ज्वाईंट वेंचर कंपनी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। 750 मेगावाट की रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना को तीन यूनिट में विभाजित किया जाकर 250-250 मेगावाट की तीन यूनिट स्थापित की जा रही है। 750 मेगावाट क्षमता की रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना विश्व की बड़ी सौर परियोजना में एक बड़ी परियोजना है। उक्त जानकारी देते हुये सौर प्लांट के इंजीनियरों ने बताया कि रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना एकमात्र ऐसी परियोजना है जिसके क्रियान्वयन का सम्पूर्ण कार्य राज्य की संस्था द्वारा किया जा रहा है। रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना के विकास एवं स्थापना हेतु अपनाई जा रही प्रक्रियाएं देश में सौर ऊर्जा परियोजना के विकास में दिशा निर्धारण कर रही है। परियोजना से उत्पादित बिजली में 76 प्रतिशत बिजली राज्य द्वारा क्रय की जायेगी एवं शेष ओपन एक्सेस के माध्यम से दिल्ली मेट्रो को विक्रय की जायेगी। कम क्रय दर के कारण राज्य को परियोजना अवधि 25 वर्षों में 2086 करोड़ रूपये एवं दिल्ली मेट्रो को 1220 करोड़ रूपये का लाभ होगा।
इंजीनियरों ने बताया कि रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना देश की प्रथम और अभी तक की एक मात्र परियोजना है। जिसमें उत्पादित विद्युत का विक्रय ओपन एक्सेस उपभोक्ता (दिल्ली मेट्रो को किया जायेगा) यह शुरूआत नवकरणीय ऊर्जा के विकास में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। इस परियोजना की लागत लगभग 4500 करोड़ रूपये अनुमानित है, यह परियोजना देश की एक मात्र सौर पार्क परियोजना है। रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना देश की प्रथम एवं एक मात्र सौर पार्क परियोजना है जिसे वर्ल्ड बैंक से आर्थिक सहायता प्राप्त है। जिसे क्लीन टेक्नॉलाजी फण्ड से मात्र 0.25 प्रतिशत की दर पर ऋण प्राप्त हुआ है, इसके दृष्टिगत पार्क विकास शुल्क कम हो सका एवं टैरिफ में कमी आ सकी। रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना मॉडल को नवाचार एवं उत्कृष्टता के लिये वर्ल्ड बैंक प्रेसीडेंट एवार्ड दिया गया है।
रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना प्रदेश की ही नहीं अपितु राष्ट्र की महत्वकांक्षी परियोजना है जिस पर सम्पूर्ण विश्व की निगाहें टिकी हैं। सौर परियोजनाओं के क्षेत्र में पूरे एशिया में एक ही स्थान पर 750 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजना को विकसित करने का यह प्रदेश का प्रथम प्रयास है। विकासक इकाईयां यूनिट क्रमांक 1, 2, 3 द्वारा अपने-अपने यूनिट की परियोजना स्थापना का कार्य किया जा रहा है। इंजीनियरों ने बताया कि यूनिट क्रमांक 1 एवं 2 द्वारा माह अपै्रल 2018 से आंशिक विद्युत उत्पादन किया जाना प्रस्तावित किया गया है। प्रत्येक यूनिट हेतु पृथक-पृथक 33/220 केवी के पुलिंग सबस्टेशन होंगें, यूनिट क्रमांक 1 एवं 3 के पुलिंग सब स्टेशन का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है तथा यूनिट क्रमांक 1 के पुलिंग सब स्टेशन का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यूनिट क्रमांक 1, 2, 3 द्वारा उत्पादित विद्युत पुलिंग सब स्टेशन से पी.जी.सी.आई.एल. के 400/200 केवी पुलिंग सब स्टेशन मे सम्प्रेषण होगी। पी.जी.सी.आई.एल. के 400/200 केवी पुलिंग सब स्टेशन का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। गत दिवस उद्योग वाणिज्य एवं खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने परियोजना स्थल का निरीक्षण कर निर्माण कार्यो के प्रगति की समीक्षा की। उन्होने जुलाई 2018 माह तक शेष निर्माण कार्यो को पूरा कराने के निर्देश दिये है।