सर्दियों में बढ़ जाता है डिप्रेशन का खतरा
ठंड के मौसम में अगर आपका मन उदास है या फिर रोजाना के काम में आपका मन नहीं लग रहा है तो हो जाइए सावधान। आप डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। ठंड बढ़ने के साथ इस बीमारी के मरीज तीन गुना बढ़ गए है।
सर्दी के मौसम में तेजी से गिर रहा पारा प्रौढ़ व वृद्ध लोगों के लिए भारी मुसीबत बनता जा रहा है। लुढ़कते पारे के कारण 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग तेजी से अवसाद (डिप्रेशन) के शिकार हो रहे हैं।
सर्दी के मौसम में सूर्य की रोशनी कम मिलती है। ऐसे में मस्तिष्क के अंदर न्यूरो-ट्रांसमीटर का उत्पादन कम होने लगता है। इसे सीजनल अफेक्टिव डिस्आर्डर कहते हैं। इस बीमारी के मरीजों में 75 फीसदी महिलाएं होती है।
इस बीमारी के शिकार व्यक्ति के जेहन में खुदकुशी करने का भाव आता है। हीन भावना आ जाती है। मन उदास रहता है। उसका मन किसी कार्य में नहीं लगता है। भूख कम लगती है। अवसाद के शिकार मरीज को रोजाना धूप में एक से दो घंटे जरूर बैठना चाहिए। इसके अलावा कृत्रिम सूर्य की रोशनी के लिए कुछ यंत्र भी है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को डॉक्टर की सलाह से अवसाद की दवाएं जरूर दिलानी चाहिए।