विश्व आर्थराइटिस दिवस, आइए जानें इस रोग से बचाव के तरीके
ऑस्टियो आर्थराइटिस आम समस्या है। रहयूमेटॉइड आर्थराइटिस का महिलाओं को अधिक खतरा। आर्थराइटिस का इलाज जल्द शुरू करना ज़रूरी। जल्द इलाज से बेहतर नियंत्रण संभव
विश्व आर्थराइटिस दिवस हर वर्ष १२ अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आर्थराइटिस के विषय में जागरूकता बढ़ाना है। आर्थराइटिस को जोड़ों का रोग माना जाता है, जिसमें व्यक्ति के जोड़ों में सूजन और जकड़न होती है, लेकिन आर्थराइटिस का प्रभाव यहाँ तक ही सीमित नहीं। आर्थराइटिस के कई प्रकार है।
आर्थराइटिस के कई प्रकार होते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम प्रकार है। वहीं रहयूमेटॉइड आर्थराइटिस का खतरा
महिलाओं को अधिक रहता है। रहयूमेटॉइड आर्थराइटिस, 20 से 40 वर्ष की महिलाओं में अधिक होता है।
आर्थराइटिस में जरूरी है जल्द इलाज करवाना। जल्द इलाज से आर्थराइटिस का बेहतर नियंत्रण संभव है। रोगी को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह केवल विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही दवा ले। रोग नियंत्रित करने के लिए नियमित इलाज कराएं। इसके अतिरिक्त जकड़न कम करने के लिए व्यायाम करें और जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मज़बूत बनाएं।
फ़िज़ियोथेरेपी आर्थराइटिस में लाभ होता है। यह ध्यान देना जरूरी है कि दर्द होने पर भी रोज़मर्रा की क्रियाएं बंद न करें।
आर्थराइटिस का सही इलाज न हो तो व्यक्ति को दैनिक क्रियाएं करने में समस्या होती है और उसका जीवन प्रभावित होता है ।
जहां तक आर्थराइटिस के लक्षणों की बात है तो वह निम्नलिखित हैं।
जोड़ में दर्द व सूजन
चलने में परेशानी
जोड़ का लाल होना
सुबह उठने पर जोड़ में जकड़न
उठने-बैठने व रोज के कामकाज करने में परेशानी
आँख का शुष्क होना या पानी सूखना
मुंह सूखना
लगातार कई दिनों से बुखार होना
आर्थराइटिस के बढने से रोकना है तो जरुरी है कि इसका इलाज जल्द शुरू हो जिससे जोड़ की क्षति को बढ़ने से रोका जा सके ।