अवैध फीस वसूली का भंडाफोड़ कलेक्टर की नैतिकता का परिणाम है

अवैध फीस वसूली का भंडाफोड़ कलेक्टर की नैतिकता का परिणाम है

  जबलपुर के स्कूलों में 81 करोड़ की अवैध फीस वसूली में 80 लोगों पर एफआईआर हुई तथा 21 गिरफ्तार हुए, 10 स्कूलों पर कार्यवाही हुई है। लेकिन वस्तु स्थिति यह है कि यह स्थिति सभी जगह है ।यह पहले से हो रहा है अभी भी हो रहा है आगे भी होता रहेगा ।कार्यवाही व्यक्ति विशेष कलेक्टर की नैतिकता का परिणाम है उन्होंने कार्रवाई करनी चाही हो गई ।लेकिन कुछ दिन बाद इनका भी ट्रांसफर हो जाएगा धीरे-धीरे मुद्दा शांत हो जाएगा और सब फिर पहले जैसा चलने लगेगा क्योंकि कोई भी स्कूल को यह उन्हीं पैसे वालो के हैं जो सरकार चलाते हैं।
 11 स्कूलों में 81 करोड़ के अवैध फीस वसूली के मामले में 9 थानों में 80 एफआईआर दर्ज की गई हैं ।
प्रिंसिपल, चेयरमैन, प्रोपराइटर, पुस्तक विक्रेताओं सहित करीब 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन स्कूलों पर 22 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कलेक्टर दीपक  सक्सेना और एसपी आदित्य प्रताप सिंह की संयुक्त मुहिम मे यह कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई विभाग को मिली शिकायत पर की गई है। स्टेम फील्ड इंटरनेशनल, क्राइस्ट चर्च डायसेन, क्राइस्ट चर्च सीनियर, क्राइस्ट चर्च सालीवाडा, सेंट अलायसियस,  सेंट अलायसियस सीनियर, ज्ञान गंगा ऑर्किड इंटरनेशनल, लिटिल वर्ल्ड स्कूल, क्राइस्ट चर्च बॉयज एंड गर्ल्स, श्री चेतन टेक्नो स्कूल ,सेंट अलायसियस  जिन पर अभी कार्यवाही हुई है।
 कलेक्टर के अनुसार जबलपुर जिले में 1035 निजी स्कूल है इनमें से 50 की जांच की गई है यदि सभी की जांच की जाए तो लगभग 60% स्कूलों में मनमानी बड़ी फीस मिलेगी जिसका आकलन करीब 240 करोड रुपए से ज्यादा निकलेगा।
 15% से ज्यादा फीस बढ़ाने के लिए राज्य  सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है तथा 90 दिन पहले जानकारी देना अनिवार्य है। शिक्षा सस्ती और सहज होनी चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। जब शिक्षा  सरकार के अधीन थी तब भी सभी को शिक्षा नहीं मिल पा रही थी आज जब सरकारी तथा निजी दोनों तरह की हो गई है तो कुछ जगह सरकारी तो ठीक है इस समय लेकिन निजी संस्थानों में अच्छी शिक्षा के नाम पर फीस इतनी ज्यादा है  कि अभिभावक की कमर टूट जाती है।
 नौकरी के स्तर शिक्षा के स्तर के साथ बढ़ता जा रहा है आज मुख्य  धारा की शिक्षा से नौकरी नहीं मिल पा रही है और टेक्नोलॉजी वाले शिक्षा से भी इतनी प्रतिस्पर्धा है कि अच्छे संस्थान से निकले छात्र ही नौकरी पा रहे हैं।
 सरकारी शिक्षा मे कम से कम व्यवसायी करण नहीं था लेकिन निजी शैक्षणिक संस्थाओं ने इसका इतना व्यवसायीकरण कर दिया है कि सामान्य अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी ऊंचे शिक्षा देने में असमर्थ नही है। फर्जी फीस के फंदे मे देश का भविष्य झूल रहा है।
अजय नारायण त्रिपाठी “अलखू”
28 मई 2024
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