मुफ्त की राजनीति के फायदे और नुकसान
मुफ्त की राजनीति के फायदे और नुकसान
सत्ता प्राप्ति के कई उपायों में से एक मुफ्त बांटने का उपाय भी है। लगभग सभी सरकारें अपने मतदाता की आवश्यकता मंशा अनुसार मुफ्त उपहार बांटता है ।मुफ्त के उपहार बांटकर वोट पाने का सबसे अच्छा फायदा यह है कि यह काम चुनावी वर्ष में करना पड़ता बाकि वर्ष आराम से सत्ता का मजा लिया जाता है। कहीं साड़ी तो कहीं टीवी, फ्रिज, स्कूटी, लैपटॉप और न जाने क्या-क्या मुफ्त में बांटे जाते हैं जिससे सत्ता बरकरार रहे या बन जाए। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी चिंता व्यक्त की है। आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति सभी के लिए हो कमजोर तबकों के लिए कुछ मुक्त हो इसके किस में किसी को परेशानी नहीं है। क्योंकि भारत वैसे भी दानी स्वभाव वाला देश है ।यहां का स्वभाव है कि अगर एक चीज हमारे पास ज्यादा है तो उसे आवश्यकता वाले लोगों तक बांट दें। सत्ता प्राप्ति के लिए मुफ्त बांटने की प्रवृत्ति बड़े स्तर तक आ सकती है। पहले सत्ता वाले राजनैतिक दल कुछ विशेष समुदाय को मुफ्त की सेवाएं देकर सत्ता का आनंद लेते रहे बाद में कुछ नए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल अन्य समुदाय को मुफ्त उपहार देने के वादे के साथ सत्ता में आने लगे या सहभागिता निभाने लगे ।मुफ्त की राजनीति ने कई प्रदेशों मे उनकी सत्ता भी स्थापित कर दी है। लेकिन इस मुफ्त की सत्ता ने कर देने वाला वर्ग ठगा महसूस करता है। जो मेहनत करता है और देश को विकसित देखना चाहता है उसका मनोबल टूटता है । जो देश की तरक्की के लिए घातक है सभी दलों पर मुफ्त की राजनीति करने पर एक सीमा पर रोक लगाना जरूरी अब जरूरी है क्योंकि यह अकर्मण्यता को बढ़ावा देने वाली बात है।
अजय नारायण त्रिपाठी “अलखू”
11अगस्त 2022
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