यूनिफाइड पेंशन योजना आखिर बहुत कुछ बेहतर हुआ

यूनिफाइड पेंशन योजना आखिर बहुत कुछ बेहतर हुआ

  देश में ऐसा भी समय आया जब कई दलों ने मिलकर सरकार चलाया। लालू जैसे नेताओं ने सरकार को मजाक बना दिया था। स्थिति यह बन गई थी कि देश का रिजर्व सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा। सैनिकों के लिए कपड़ों तक की कमी हो गई थी गोला बारूद की बात ही क्या करें।
 ऐसा समय कांग्रेस और उनकी मिली जुली सरकारों का रहा जहां पुराने शासकीय पदों की समाप्ति का दौर आया। समाप्ति के दौर मे पुराने पद  समाप्त किया जा रहे थे लेकिन नये बनाए भी नही जा रहे थे। केंद्र सरकार हो चाहे राज्य जैसे मध्य प्रदेश के दिग्विजय सिंह और केंद्र में कांग्रेस तथा अन्य दलों की मिली जुली सरकार।
 शासकीय कर्मचारियों  की कमर टूटना मतलब सरकार का तंत्र असफल होना। इन्होंने कर्मचारियों के रिटायर होने पर मिलने वाली पेंशन बंद कर दी और संविदा की व्यवस्था प्रारंभ की। कुछ वर्षों के लिए अटल जी की सरकार आई उन्होंने पुनः देश को पटरी पर लाने का प्रयास किया। कम से कम  कुछ तो कर्मचारियों को पेंशन मिले इसके लिए एनपीएस की व्यवस्था की तथा प्रयास यह रहा कि अभी कुछ न कुछ पेंशन मिलना चाहिए साथ ही जब देश की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो पेंशन भी ठीक मिले। लेकिन पुनः कांग्रेस की सरकार मनमोहन सिंह की केंद्र मे सहयोगी दलों के साथ आ गई और एनपीएस से जो एक अच्छी उम्मीद बनाई गई थी उसमें पानी फिर गया। इसमे जो कर्मचारी का पैसा जमा हो रहा था उसमें भी घोटाला हो गया। इन घपले घोटालों से  देश तब  निकला जब  केंद्र में पुनः भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे आई । देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ । कर्मचारियों को वेतन समय पर मिलने लगा। देश के करदाताओं का पैसा देश के विकास में लगने लगा ।अब सरकारी कर्मचारी जिनका कांग्रेस शासन काल में साल साल भर वेतन नहीं मिलता था वह मोदी सरकार से पुरानी पेंशन की मांग करने लगे खैर कुछ मजबूरी के साथ सुधार के बाद वर्तमान सरकार ने कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम मंजूर किया है। जिससे बेसिक सैलरी की आधी पेंशन की गारंटी है। कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन भी चालू कर दी है लेकिन उन्हें अपने अन्य विकास कार्य से समझौता करना पड़ रहा है जबकि केंद्रीय सरकार संसाधन आय बढ़ाकर कर्मचारियों को पेंशन देना चाह रही है ।
अभी भी बहुत से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की बात कर रहे हैं संभावना यह भी है कि आगे यह भी संभव हो जाए लेकिन वर्तमान में जो यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाई गई है वह भी स्वागत योग है। जहां पेंशन मिल ही ना रही हो या तो बहुत कम मिल रही हो ऐसे में अधिक पेंशन मिलना सम्मानजनक तथा संतोषप्रद है।
 ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को आखिरी वेतन का 50% पेंशन मिलता था तथा कर्मचारियों को कोई योगदान नहीं करना था, महंगाई भत्ता भी मिलता था। नेशनल पेंशन स्कीम मे सरकारी कर्मचारी को बाजार आधारित पेंशन मिलनी थी। एक बेसिक पेंशन के साथ अगर बाजार फायदे मे है तो ज्यादा पेंशन नुकसान मे है तो कम। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में बेसिक सैलरी की आधी पेंशन मिलनी ही है इसमें कर्मचारियों का योगदान 10% रहेगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
25 अगस्त 2024
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