वन जीवन में संतुलन की शिक्षा देते हैं : श्री डिसा

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“जंगल हमें क्या सिखाता है” विषय पर श्री प्रदीप कृष्ण का व्याख्यान

मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा ने कहा है कि मानव समाज के हित-संरक्षण के लिये प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है। वन जीवन में संतुलन की शिक्षा देते हैं, जो तकनीकी के गैर जिम्मेदाराना उपयोग से बिगड़ रहा है। श्री डिसा ने समन्वय भवन में ‘स्मरण: महेश नीलकण्ठ बुच’ कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि श्री बुच पूर्ण रूप से प्रकृति प्रेमी थे। उनका पर्यावरण दिवस के एक दिन बाद अवसान श्री बुच की पर्यावरण और वानिकी के प्रति गहरी संवेदना को अभिव्यक्त करता है।

उल्लेखनीय है कि नेशनल सेन्टर फॉर हयूमन सेटलमेंट एण्ड एनवायरमेंट हेल्प लाईन और फ्रेण्डस ऑफ एनवायरमेंट संस्था द्वारा श्री बुच के अवसान का एक वर्ष पूर्ण होने पर स्मरण स्वरूप ‘जंगल हमें क्या सिखा सकता है’ विषय पर पर्यावरणविद, लेखक तथा फिल्म निदेशक श्री प्रदीप कृष्ण का व्याख्यान आयोजित किया गया था। श्री बुच ने ही 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद इन संस्थाओं की स्थापना की थी। नगर नियोजन, पर्यावरण और वानिकी के विशेषज्ञ श्री बुच का आधुनिक भोपाल की बसाहट में भी विशेष योगदान है।

इस अवसर पर श्री प्रदीप कृष्ण ने अपने व्याख्यान में वन के महत्व, मध्य भारत के वृक्षों की विशेषता तथा वृक्षारोपण और लेण्ड-स्केप में नैसर्गिक वृक्षों के उपयोग को महत्व देने जैसे विषयों पर व्याख्यान दिया। श्री डिसा ने इस अवसर पर बताया कि उनके होशंगाबाद में प्रशिक्षु सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यरत रहने के दौरान ही श्री प्रदीप कृष्ण द्वारा वहाँ मैसी साहब फिल्म का फिल्मांकन किया गया था। उन्होंने श्री कृष्ण की पुस्तक ‘जंगल ट्रीज ऑफ सेन्ट्रल इंडिया’ को रोचक और जानकारीपूर्ण बताया।

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