गाय को तो मरना ही है अब चाहे लम्पी से मरे या लापरवाही से

गाय को तो मरना ही है अब लम्पी से मरे या लापरवाही से

 गाय और भैंस वंश मे इस लम्पी  वायरस का प्रकोप होता है और इस समय भारत में मुख्यतः गौवंश पर यह आफत आ गई है ।भैंस को तो मार कर उसका मांस खाने वाले खा जाते हैं अगर भैंस वंश बीमार पड़ता है तो भी उसका मांस काम आ जाता है भले ही वह गैरकानूनी तरीका हो लेकिन गौवध  पर प्रतिबंध है और यही प्रतिबंध है उसके दूसरे तरीके से मारने के लिए रास्ता खोल रहा है।
वर्तमान सरकार के लिए तीन बातें  परेशान करने वाली रहेंगी। पहला गोवंश का संरक्षण दूसरा किसान का कर्ज किसानी और तीसरा पुरानी पेंशन। यह मुद्दे सरकार की सेहत पर काफी फर्क डालेंगे प्रदेश सरकारों के सेहत इनसे प्रभावित हुई है अब यह केंद्र की ओर यह रुख करेगा। गोवंश की सुरक्षा संवर्धन तथा उपयोग के लिए राज्य की गौशालाओं के साथ केंद्रीय गौशाला का भी विचार करना पड़ेगा। गाय, गंगा सनातन संस्कृति के संवर्धन सुरक्षा के साथ विकास  वर्तमान सरकार की पहचान है। इसमें गोवंश का संरक्षण  सर्वाधिक बिछड़ गया है। इसको किस तरह से संभाला जाए कैसे गोवंश की पूंजी को देश के विकास में लगाया जाए यह काम करना आज और अब सरकार का बड़ा काम है क्योंकि राज्य की सरकारें हो या केंद्र की जनता को इतना  राजआश्रित कर दिया है कि अब केवल सरकार ही जनता के साथ मिलाकर इसका  निकाल पाएंगे।
 गाय का मरना भारत के लिए भारत के मरने जैसा है । हर देश समाज का एक स्थाई गुण होता है और भारत में यह गुण गाय के चारों तरफ से है। कोई माने या ना माने पर भारत का यह गुण है ।
निःसंदेह मोदी सरकार ने सनातन संस्कृति और हमारे प्रतीक चिन्हों के लिए ऐतिहासिक कार्य किए हैं जिनके लिए सरकार को धन्यवाद दिए बिना नहीं रहा जा सकता है लेकिन गाय का मुद्दा ऐसा है कि अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। अब लम्पी से गाय मर रही है. साथ ही इनकी सुरक्षा संरक्षण में ऐसी लापरवाही है कि गाय को मरना ही है लेकिन यह भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि चाहे औद्योगिक क्रांति हो या अन्य कोई  संपन्नता के साधन पढ़ाने वाले कार्य अगर भारत में गाय का संरक्षण ना हुआ तो भारत भूमि बंजार हो जाएगी। सारी की सारी औद्योगिक क्रांति या अन्य क्रांति धरी की धरी रह जाएंगी। श्वेत क्रांति तो खत्म ही हो जाएगी। गाय की सुरक्षा संरक्षण के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है और यह काम अगर कोई सरकार कर सकती है तो वह मोदी सरकार ही है। एक इन्हीं से आशा है क्योंकि जिस तरह से इन्होंने भारत के प्राचीन धार्मिक स्थलों के संरक्षण का कार्य किया है वह सराहनीय है लेकिन अब गाय के लिए कार्य करने की जरूरत है। नहीं तो गाय को मरना ही पड़ेगा चाहे वह लम्पी से मरे या लापरवाही से।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
20 सितंबर 2022
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