सही और बड़ी सोच का परिणाम है केन – बेतवा नदी को जोड़ना
सही और बड़ी सोच का परिणाम है केन – बेतवा नदी को जोड़ना
अगर नीयत ठीक हो और राष्ट्र के लिए कुछ करने की चाहत तो क्या नहीं हो सकता ।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने देश को पक्की ग्रामीण सड़क दी और वह देश की नदियों को भी जोड़ना चाहते थे जिससे पूरा देश वर्ष भर पानीदार रहे समृद्ध बने।
नदियों का ज्यादातर अनुपयोगी होकर समुद्र में चला जाता है दूसरी ओर जहां ज्यादा पानी बरसने पर बाढ़ आती है तो अन्य जगह सुखा इसको दूर करने के लिए अटल बिहारी वाजपेई जी की बड़ी सोच नदियों को जोड़ने की योजना बनाई थी जो आज जाकर मोदी युग में साकार हो रही है।
केन बेतवा नदी जोड़ने की राष्ट्रीय परियोजना पहली नदी जोड़ो परियोजना है जिसका भूमि पूजन हुआ है । यह 44600 करोड रुपए लागत वाली परियोजना है। पहले की सरकारे इतनी बड़ी परियोजना सोच ही नहीं सकती थी ।आज सही और बड़ी सोच का परिणाम है कि ऐसी परियोजना साकार रूप लेगी।
मध्य प्रदेश के 10 जिले छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर के 8.11 लाख हेक्टर क्षेत्र एवं उत्तर प्रदेश के 2.5 1 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में इससे सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इस परियोजना से 65 लाख परिवारों को पेयजल की सुविधा भी मिलेगी। 130 मेगावाट जल विद्युत तथा औद्योगिक इकाइयों को पर्याप्त जल मिलेगा। इस परियोजना से चंदेल कालीन लगभग 42 पुराने तालाबों का विकास एवं पुनर्निर्माण होगा।
भारत की जनसंख्या इसकी पूंजी है अगर इसको संसाधन मिलते रहे और यह संसाधन यहां गांव से ही होकर आते हैं और ऐसी योजनाएं संसाधनों को समृद्ध बनाते हैं ।
नदियों को जोड़ने का लाभ यह है कि भारत अपने भूत, वर्तमान, भविष्य तीनों से जुड़ा रहेगा। जो नदियां पहले तालाबों के पानी से 12 महीने बहती रहती थीं उन तालाबों में खेती होने और फुटबांध होने के कारण पानी रुकने की बजाय सीधे नदियों से बहकर चला जाता था। नदी जोड़ो अभियान में तालाबों का पुनर्निर्माण भी है। भाजपा सरकार नए तालाबों का भी निर्माण करती जा रही है पुराने तालाबों में अगर खेती होने लगी है तो सड़क निर्माण के दौरान को खोदी गई मिट्टी मुरूम से नए तालाबों का निर्माण हो रहा है। पुरानी खदानों को तालाबों की तरह विकसित किया जा रहा है जिससे बहता पानी रुक सके। नदी जोड़ने का यह भी फायदा है कि ऐसे सभी जल स्रोतों को भरा जाएगा जिससे वर्षभर जल मिलता रहे।
केन – बेतवा नदी जोड़ो परियोजना देश की पहली परियोजना है ऐसी कई परियोजनाएं प्रारंभ होंगी। पहले की सरकारे छोटी-छोटी परियोजनाओं के लिए कह देती थीं कि पैसे नहीं हैं एक प्रधानमंत्री तो कहते थे कि पैसे पेड़ में नहीं उगते हैं।जबकि सिचाई के माध्यम से अच्छी खेती पैसे पेड़ मे उगाने का ही उपक्रम है। जबकि भाजपा के चाहे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी रहे हों या वर्तमान में नरेंद्र मोदी जी इन्होंने पैसे की कमी का रोना कभी नहीं रोया ।सड़क परिवहन मंत्री गडकरी जी तो कहते हैं कि जितना पैसा चाहिए उतना बताओ सड़के एक नंबर की बनेंगीं।
पहले पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ जाता था ऐसा नहीं है कि आज भ्रष्टाचार नही है लेकिन पहले भ्रष्टाचार के पैसे से पड़ोसी देश भी चलता था।
केन-बेतवा नदी जोड़ो योजना उन क्षेत्रों के भविष्य को उज्जवल करनेवाली है जो प्राकृतिक संपन्नता के बावजूद सदियों से मानव निर्मित विपन्नता के कलंक ढ़ो रहे थे। इस महत्वपूर्ण परियोजना से इस भूभाग के भाग्योदय से संपूर्ण राष्ट्र मजबूत होगा
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
25 दिसंबर 2024
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