किसानों को कम अवधि की लाभकारी फसलों के लिए प्रेरित करें – कलेक्टर
किसानों को तोरिया, रामतिल, अलसी तथा मटर के बीज तत्काल उपलब्ध कराएं – कलेक्टर
रीवा 21 अगस्त 2022. कलेक्ट्रेट सभागार में कृषि विविधीकरण की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि खेती के संबंध में किसानों की जानकारी सबसे बेहतर होती है। अपने खेत की मिट्टी और वर्षा के आधार पर किसान फसल का चुनाव करते हैं। किसानों को गेंहू और धान के स्थान पर अन्य लाभकारी फसलों के लिए प्रेरित करें। जिले में गहरी वर्षा देर से होने के कारण धान का क्षेत्रफल घटा है। पिछले दो दिनों में हुई वर्षा के बाद किसान तेजी से धान का रोपा लगा रहे हैं। इसके बावजूद 30 से 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र खाली रहेगा। इनमें किसानों को तोरिया, रामतिल, अलसी, मटर अथवा सब्जी की कम अवधि की फसल लेने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए किसानों को बीजों की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करें। कृषि विभाग एवं निजी विक्रेता किसानों की मांग के अनुसार बीज उपलब्ध कराएं।
कलेक्टर ने कहा कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए फसल चक्र को अपनाना आवश्यक है। किसान को परंपरागत खेती को उन्नत करने के साथ उसे फल तथा सब्जी की खेती के लिए प्रोत्साहित करें। जिले के कई सब्जी उत्पादक किसान अच्छा लाभ कमा रहे हैं। कृषि विविधीकरण के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। जब किसी गांव में दो-चार किसान नए अनाज, तिलहन तथा सब्जी की खेती में सफल होंगे तो बाकी किसान उनका अनुसरण करेंगे। प्याज और टमाटर की खेती इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। किसानों को बांस रोपण के लिए भी प्रेरित करें। जिन गांवों में नीलगाय तथा आवारा पशु के कारण खेती में कठिनाई हो रही है वहाँ किसान अपने खेत में बांस से ग्रीन फेंसिंग कर सकते हैं। इससे फसलों की सुरक्षा के साथ-साथ किसान को 40 सालों तक बांस उत्पादन का लाभ मिलेगा। शुरू के दो वर्षों को छोड़कर बांस की खेती में किसी तरह का अतिरिक्त खर्च भी नहीं है।
कलेक्टर ने कहा कि जिले में उद्यानिकी फसलों की भी अच्छी संभावना है। किसानों को फलदार पौधे तथा विभिन्न सब्जियों के बीज उद्यानिकी विभाग उपलब्ध कराए। खेती के साथ-साथ मछली पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन तथा पशुपालन को अपनाकर भी किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं। बैठक में उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने बताया कि जिले में धान का रकबा इस वर्ष घटा है जबकि दलहन और तिलहन के क्षेत्रफल में 8 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। साथ ही जिले में 786 हेक्टेयर में आम, अमरूद एवं अन्य फलदार पौधे लगाए गए हैं। किसानों के लिए सरसों, तोरिया, मटर तथा रामतिल के बीज एक सप्ताह में उपलब्ध करा दिए जाएंगे। बैठक में कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरपी जोशी ने बताया कि धान का रोपा पानी के अभाव में पिछड़ गया है। अब धान के जो पौधे रोपित किए जा रहे हैं उनकी कटिंग कर दें जिससे कम अवधि में वृद्धि होकर उनमें सही फलन हो सके।
बैठक में नाबार्ड के जिला प्रबंधक सुनील ढिकले ने बताया कि रीवा जिले में एफपीओ का अच्छा नेटवर्क है। इसके माध्यम से कृषि विविधीकरण के प्रयास सफल होंगे। बांस रोपण तथा अन्य फल सब्जियों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। एग्री क्लीनिक और एग्री बिजनेस के लिए नाबार्ड सहयोग करेगा। बैठक में परियोजना अधिकारी जिला पंचायत संजय सिंह ने कहा कि रीवा जिले में मिश्रित खेती की पुरानी परंपरागत पद्धति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। किसान दो या तीन फसलें एक साथ उगाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाने के साथ अच्छा उत्पादन भी प्राप्त कर सकेगा। वाटरशेड एरिया में 12 हजार बांस का रोपण किया जा रहा है। बैठक में बताया गया कि जिले में एक लाख 56 हजार बांस के पौधे इस वर्ष रोपित करने का लक्ष्य है। इनमें से पंजीकृत किसानों द्वारा 49 हजार 470 पौधे रोपित किए जा चुके हैं। बांस का रोपण लगातर जारी है। बैठक में कई प्रगतिशील किसानों ने खेती के विविधीकरण के लिए उपयोगी सुझाव दिए। बैठक में अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह, डिप्टी कलेक्टर संजीव पाण्डेय, सहायक संचालक उद्यानिकी योगेश पाठक, खाद-बीज विक्रेता, एफपीओ के प्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए।