जनहितैषी कार्य और परिश्रम की पराकाष्ठा ने आसान की शिवराज की राह
इसमें कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद के नए मानक तय कर दिए हैं। अंडे से चूजे तक के नुकसान की भरपाई शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने बनाई है । लगातार तीन पंचवर्षीय 2003 से 2013 भाजपा सरकार प्रचंड बहुमत से आई। मध्यप्रदेश के माथे से बीमारू राज्य का कलंक मिटा , मध्यप्रदेश 24 घंटे बिजली देने वाला देश का दूसरा राज्य बना ,अधोसंरचना विकास के नए नए प्रतिमान गढ़े गए ,सभी वर्गों के कल्याण के लिए योजनाएं बनी क्रियान्वित हुई यहां तक कि जो गरीब सामान्य वर्ग वोट बैंक की राजनीति मे हाशिए में धकेल दिया गया था उन गरीबों की भी चिंता भाजपा सरकार ने की।
लेकिन इसी बीच प्रभुता पाय कहि मद नाही की परिस्थिति भी प्रकट हुई जो पार्टी 230 में से 174 सीटें लेकर सरकार बना रही हो वहां मद आने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है और वह यहां आया भी।
सरकार अच्छी चल रही थी लेकिन दो मुद्दे ऐसे आए जिनकों भाजपा नेतृत्व ने यह समझकर ज्यादा महत्व का नहीं समझा कि हम सब अच्छा कर रहे हैं जनता तो हमें ही सत्ता की चाबी सौंपेगी। इसमें से एक मुद्दा था किसान का और दूसरा सवर्ण का।
कांग्रेस ने इन दो वर्गों पर निशाना साधा और किसानों के ऋण माफी की बात के साथ प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोलने की बात की।शिवराज सिंह द्वारा कहे गए शब्द कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता है में विरोधियों ने माई के लाल सवर्णों को बना दिया। माई के लाल सवर्णो के सपाक्स और नोटा ने वह काम किया जो कांग्रेस चाहती थी।
बहुलता के साथ भाजपा से जुड़ा सवर्ण मतदाता और किसान तो किसी भी सरकार के लिए मेरुदंड है।
भाजपा सरकार ने किसानों के हित में अभूतपूर्व कार्य किए हैं लेकिन आवारा गौवंश ने किसानों को इतना अधिक परेशान किया कि वह उन सभी सुविधाओं को भूल सा गया जब कृषि कार्य को करने के लिए बढ़ी हुई महंगाई मे कांग्रेस ने ऋण माफी की घोषणा कर दी। परेशान किसान ऋण माफी के झांसे में आ गया साथ ही भाजपा को सरकारी निरंकुश तंत्र ने भी काफी क्षति पहुंचाई ।
सवर्ण मतदाता ,सरकारी तंत्र की निरंकुशता और आवारा गौवंश ने 2018 के चुनाव में भाजपा को सत्ता से दूर करने में बहुत बड़ा कार्य किया।
सत्ता में आई कांग्रेस मे सिंधिया को युवा चेहरे के रूप में जनता के सामने रखा गया लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ को बना दिया गया और यह सब करने के पीछे कांग्रेस की अपनी मजबूरी थी क्योंकि कांग्रेस राहुल गांधी के सामने किसी अन्य युवा नेतृत्व को न तो प्रदेश में न देश मे पनपने देना चाहती है। उपेक्षा और अपमान ने सिंधिया को बगावत करने पर मजबूर कर दिया और उनके समर्थक विधायकों ने कमलनाथ सरकार से इस्तीफा देकर सरकार गिरा दी और पुनः शिवराज सिंह चौहान भाजपा का नेतृत्व करते हुए मुख्यमंत्री बन गए।
विपक्ष में रहते हुए शिवराज सिंह चौहान और इनका संगठन चुप नहीं बैठा तब भी उनके परिश्रम की पराकाष्ठा चालू थी ।इनके विधायक लगातार अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए प्रयत्नशील रहे और अपनी जनता से लगातार इनका संवाद कायम रहा। यह उपचुनाव कोरोना की विभीषिका के बीच व्यवस्था बनाकर हुए। कोरोना काल में ही प्रदेश की बागड़ोर भाजपा शिवराज सिंह चौहान के पास आ चुकी थी ।अपने संगठन तथा विधायकों जैसे विधायक पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल जैसे अन्य परिश्रम की पराकाष्ठा करने वाले साथियों के साथ पूरे कोरोना काल से जिस तरह से प्रदेश लड़ा वह प्रशंसनीय है ।
सत्ता मे आते ही शिवराज ने उन सभी जन हितैषी योजनाओं को पुनः प्रारंभ किया जिनको कांग्रेस ने बंद कर दिया था ।योजनाओं से लाभान्वित होने वाला वर्ग प्रसन्न हो गया प्रदेश मे फिर शिवराज मामा का डंका पर बजने लगा।
28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव हुए जिसमें से भाजपा को 9 सीट चाहिए थी बहुमत के लिए जिस बहुमत से सरकार चलती रहती है लेकिन उन्होंने लक्ष्य रखा 20 से 21 सीट का और परिणाम 19 सीट जीत कर भाजपा ने अपना लक्ष्य पूरा किया ।जो सोचा वह परिश्रम की पराकाष्ठा और जनहितैषी कार्य से पूर्ण हुआ।
अब सरकार पूर्ण बहुमत की है आगे सुचारू संचालन के लिए परिणाम मूलक पूर्व मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह देने की आवश्यकता भी है साथ ही किसानों और गौवंश के लिए विशेष प्रयास करना पड़ेगा ।कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा गौशाला संचालित होंं जो आत्मनिर्भर निर्भर भी होंं। गत दिवस शिवराज सरकार ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए रोडमैप भी तैयार किया है जिसमें भी कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात कही गई है जिसे धरातल मे उतारने की चुनौती रहेगी ।कृषि में महंगाई की मार कैसे कम हो इस पर विशेष ध्यान देना होगा वैसे किसानों की मदद के लिए एक कदम तो सरकार ने उठा लिया है केंद्र के ₹6000 की तरह प्रदेश के किसानों को 4000 रुपये और देने का।
शिवराज सरकार ने परिश्रम की पराकाष्ठा केवल चुनाव तक सीमित न रखकर पूरे समय रखी उसी का परिणाम है कि अब शिवराज को चुनाव परिणाम के रूप में राहत है। अब न चूक चौहान वाली तर्ज पर इस विजय का लाभ भाजपा और शिवराज को सतत सत्ता में रहते हुए मध्य प्रदेश के विकास के लिए लेना होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू ”
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