परिवार नियोजन करने वाले परिवार बन गए मूर्ख

परिवार नियोजन करने वाले परिवार बन गए मूर्ख

 परिवार नियोजन करने वाले कांग्रेस और अन्य राजनैतिक दलों के अनुसार  मूर्ख हैं। कई दशकों से सभी पार्टियों की सरकारे आबादी नियंत्रण में काम कर रही थीं ।सरकार का अमला परिवार नियोजन कार्यक्रम चला रहा है। नसबंदी कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गंधी के कार्यकाल मे सख्ती से लागू हुआ था और आज भी वह सख्ती लोभ, लालच , नौकरी पदोन्नति- क्रमोन्नति,  सरकारी सुविधाओं के साथ तथाकथित जन जागरूकता दो संतान पर लाभ है एक संतान पर लाभ, सम्मान आदि माध्यमों से आबादी को नियंत्रित करने का प्रयास सभी राजनीतिक पार्टियां कर रही हैं।
 कम आबादी पर सरकार सुविधाएं देने का वादा करती रही है और आज जब. कुछ जातियों समुदायों ने अपनी आबादी परिवार नियोजन के विभिन्न माध्यमों का सहारा लेकर कम कर लिया है  तब आबादी के अनुसार जातियों को आरक्षण का लाभ देने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कांग्रेस के साथ अन्य राजनैतिक दल के लोग करने लगे हैं ।और यह मांग दर्शाती है कि भारत में जो व्यक्ति नियम कानून का पालन करें वह महामूर्ख है। कांग्रेस के राजकुमार राहुल गंधी कहते हैं कि वंचितों को उनकी आबादी के हिसाब से हक मिले। जाति जनगणना को मुद्दा बनाया जा रहा है। चुनाव जीतने के  एक हथकंडे के रूप में नियम कानून को मानने वाली जातियों को सीधे-सीधे कहा जा रहा है कि तुम मूर्ख हो ।अपनी आबादी को परिवार नियोजन के माध्यमों का सहारा लेकर कम करना तुम्हारी मूर्खता है।
 कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने जाति जनगणना  को एक बार फिर मुद्दा बनाया है, बिहार के राजकुमार लोग तो बनाए हुए ही हैं। राहुल गंधी कहते हैं कि वंचितों को उनकी आबादी के हिसाब से हक मिले, ठीक है हक मिलना चाहिए लेकिन इसके लिए आबादी क्यों गरीबी क्यों नहीं ? राहुल गांधी ने जाति जनगणना के साथ ही 50% आरक्षण की सीमा को हटाने की मांग की है उन्होंने कहा कि जिसकी जितनी आबादी उसका उतना हक।
 तथाकथित पिछड़ा वर्ग पर सभी पार्टियों की नजर  है ।उसकी वोट सभी पार्टियां पाना चाहती हैं ।कहने को तो यह जातियां पिछड़ा वर्ग हैं लेकिन हैं राजे महाराजे। उनको भी सामाजिक न्याय चाहिए जो अरबपति हैं ।खड़गे जैसे लोग दलित हैं पिछड़े हैं, जिनकी रियासतें थी आज भी रियासत दार ही हैं वह भी पिछड़े हैं। गरीब सवर्ण हो या किसी जाति का समझदार जिसने जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन किया वह इनके अनुसार बेवकूफ है।
 आबादी के नाम पर पांच मूर्ख एक होशियार को कुचल देंगे। होना तो यह चाहिए कि वोट को आबादी पर नहीं परिवार को आधार बनाकर गिना जाए।  अगर सरकार का नारा है कि हम दो हमारे दो तो इससे अधिक संख्या वाले परिवार के लोगों को जिसमें 4 से ज्यादा हो उनके वोट चार ही गिने जाय। लेकिन अराजकता फैलाने वाली सोच रखने वाली सभी पार्टियां भारत में नियम कायदों को कुचलकर  अराजकता और अवसाद पैदा करना चाहती हैं। गुणवत्ता की बजाय आज भी भीड़ संख्या के बल पर राज करना चाहते हैं। केवल आबादी के आधार पर हक की बात करना देश को अराजक स्थिति की ओर ले जाएगा ।एक वह परिवार या जाति जो सरकार के सुझाव और नियम को मानकर परिवार नियोजन का सहारा लेकर अपनी आबादी कम रखती है और  उपलब्ध तथा अर्जित संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करती है उसका  हक मारना क्या उचित होगा।  देश के नियम कानूनों का पालन करना क्या अपराध होगा सरकारों को यह भी सोचना पड़ेगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
 8 मई 2023
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