आएगा तो फडणवीस ही
आएगा तो फडणवीस ही
14 सितंबर को पुणे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की महा जनादेश यात्रा थी ।उस दिन मैं भी पूणे में था। देवेंद्र फडणवीस की महा जनादेश यात्रा जो पूरे महाराष्ट्र में चल रही थी उस दिन पुणे शहर में चल रही थी। रात का वक़्त था यारवाडा चौक के एक होटल में मैं रुका था उसी के सामने से यात्रा निकलने वाली थी मैं भी होटल के नीचे आकर यात्रा को देखने के लिए खड़ा हो गया। यात्रा के प्रति लोगों में उत्साह था। पुरुष और महिलाएं दोनों वर्ग इस यात्रा को लेकर उत्साहित थे मैंने दोनों ही वर्गों से इस सरकार के कामकाज पर बात की लोगों का कहना यही रहा कि थोड़ी बहुत कमियां है वह ठीक हो जाएंगी लेकिन फडणवीस सरकार मे तेजी से विकास हो रहा है अच्छी सरकार है और आएगा तो फडणवीस ही। आएगा फडणवीस ही इस पंक्ति को लोग उत्साहित होकर बोल रहे थे।
12 सितंबर से 20 सितंबर तक मै महाराष्ट्र में रहा और इनकी महा जनादेश यात्रा से तीन जगह मुलाकात हुई भीमाशंकर जाते समय, महाबलेश्वर जाते समय और पुणे में।
टैक्सी ड्राइवर, होटल कर्मचारियों, दुकानदारों तथा सामान्य जनों से बात करने में जो एक बात निकल कर आती थी तो यही कि आएगा तो फडणवीस ही।
कुछ विरोधी भी मिले तो उनका विरोध विकास को लेकर नहीं रहा उनका विरोध धर्म आधारित रहा ।विरोध के स्वर उन्हीं से सुनाई दिए जो भाजपा की हिंदूवादी छवि के विरोधी हैं वर्ग विशेष तथा भाजपा के हिंदुत्व के विरोध के बावजूद इस समुदाय के भी कुछ लोगों का कहना यही रहा कि आएगा तो फडणवीस ही। सच भी है महाराष्ट्र के गांव गांव में विकास देखने को मिला है शहरी क्षेत्रों में विकास आज की आवश्यकता के अनुरूप हो रहा है तो गांव गांव विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं ।महाराष्ट्र के कई विशेष क्षेत्रों को भय तथा गुंडागर्दी की छाया से निकालने का भी काम फडणवीस सरकार ने किया है ।शांति के साथ विकास कार्यों की स्थापना ने भी जनता को यह कहने के लिए प्रेरित किया है कि आएगा तो फडणवीस ही। एग्जिट पोल भी यही कह रहे हैं और 24 तारीख की सुबह से रुझान भी आने चालू हो जाएंगे और 24 को ही परिणाम भी आ जाएगा। आएगा तो फडणवीस ही लेकिन कितनी संख्या बल के साथ आएगा 24 को यही देखना रहेगा।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
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