देश के कलाकारों की होगी मैपिंग, ग्रामीण कलाकारों को भी मिलेगा राष्ट्रीय मंच- – प्रहलाद पटेल
10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने किया समापन
रीवा, 21 अक्टूबर। केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय देशभर में गांव-गांव जाकर लोक कलाकारों की खोज करेगा। उनकी कला को निखारने राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे राष्ट्रीय मंच पर जगह दी जाएगी। उक्त उद्गार केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्य मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने सोमवार को रीवा के ध्यानचंद स्टेडियम में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के समापन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यही लोक कलाकार सही मायने में हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आगे भी राष्ट्रीय महोत्सव छोटे शहरों में आयोजित होते रहेंगे, जिससे देश की जनता बड़े कलाकारों से परिचित हो, उनकी कला को पहचाने और इस मंच के माध्यम से स्थानीय कलाकार भी अपनी पहचान बना सकें। केन्द्रय मंत्री श्री पटेल ने इस मौके पर कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें मिलने वाला मानदेय 800 से बढ़ाकर सीधे 2000 रूपए करने की घोषणा की। इस मौके पर कार्यक्रम अध्यक्ष सतना सांसद गणेश सिंह विंध्यक्षेत्र में आयोजन के लिए केन्द्रीय मंत्री श्री पटेल का आभार जताते हुए चित्रकूट और मैहर में भी इस तरह के आयोजन कराए जाने की मांग की। रीवा के ध्यानचंद स्टेडियम में सोमवार को महोत्सव के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल, कार्यक्रम अध्यक्ष सतना सांसद श्री गणेश सिंह, विविष्ट अतिथि रीवा सांसद श्री जनार्दन मिश्रा, विधायक राजेन्द्र शुक्ल आदि प्रमुखजन मौजूद रहे।
लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गया महोत्सव
भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जबलपुर, सागर और रीवा में लोकरंग और संस्कृति के उत्सव की नई इबारत लिख गया। महाकोशल क्षेत्र में संस्कारधानी से 14 अक्टूबर को शुरू हुआ यह महोत्सव बुंदेलखंड की वीर भूमि सागर से होते हुए विंध्यक्षेत्र रीवा में 21 अक्टूबर को यादगार प्रस्तुतियों के साथ समाप्त हुआ। केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 10वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव मप्र के तीन संभागों में ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों के दिलों में अनूठी छाप छोड़ गया। महोत्सव में लोगों ने देश की विविध संस्कृति, रहन-सहन, खानपान, लोककला, भाषा-बोली को कुछ इस तरह महसूस किया, मानों वे भारत दर्शन पर निकले हों। एक भारत श्रेष्ठ भारत के रंग में रंगे इस महोत्सव में क्षेत्र की जनता भी पूरी तरह से रच बस गई। हस्तशिल्प मेले में पारंपरिक वस्त्रों, सजावटी सामग्री सहित अन्य उपयोगी सामग्री की दिल खोलकर खरीदारी भी की। केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय पहली बार इस महोत्सव को महानगरों से बाहर देश के छोटे शहरों में लेकर आया। यहां की जनता ने भी इसके प्रति भरपूर उत्साह दिखाया।
शायरी से शुरू होकर गीतों पर थमा सफर
महोत्सव में सोमवार को कार्यक्रम की शुरूआत मुशायरे के साथ हुई, जिसमें दर्शक वाह-वाह कर उठे। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना आरूषी निशंक ने कत्थक नृत्य की यादगार प्रस्तुति दी। गीत-संगीत और नृत्य से सराबोर इस सुहानी शाम में 22 राज्यों के लोक कलाकरों की सामूहिक प्रस्तुति ने एक मंच पर सम्पूर्ण भारत की लोक संस्कृति के दर्शन कराकर रीवा वासियों का मन मोह लिया। इसके आगे रोनू मजूमदार का बांसुरी वादन लोगों के दिलों में उतर गया। श्रीमती तनुश्री शंकर का नृत्याविष्कार भी शानदार रहा। अंत में पाश्र्व गायिका अनुराधा पौडवाल की यादगार प्रस्तुति ने महोत्सव में चार चांद लगा दिए। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव व हस्तशिल्प मेले में सोमवार को हजारों की संख्या में लोग पहुंचे।
दीपावली त्योहार को रंगत दे गया हस्तषिल्प मेला
हस्तकला एवं शिल्प मेला दीपावली पर्व को नई रंगत दे गया। मेले में रीवा वासियों ने घर की सजावटी सामग्री से लेकर अपनी पसंद के कपड़ों से लेकर अपनी पसंद और जरूरत की हर एक चीज खरीदी। मेले में बेंत, बाँस, शीतलपट्टी, आभूषण, कपड़ा, हस्तशिल्प, ड्राय फ्लॉवर, सी शाल, अजरक प्रिंट, बीड वर्क, पटोला साड़ी, कच्छ एम्ब्राॅयडरी, कपूर बेल, गुजरात, लाख बेंगल्स, टेराकोटा के अनूठे संग्रह ने लोगों को आकर्षित जमकर आकर्षित किया।
जुबां पर छा गया स्वाद
हस्तशिल्प मेले में विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों का स्वाद रीवा वासियों की जुबां पर छा गया। शुद्ध घी से तैयार हरियाणा की बड़ी जलेबी हो या फिर राजस्थानी चूरमा लड्डू और मावा कुल्फी, मीठे में इनका कोई जवाब नहीं था। बनारस और राजस्थान की चटपटी चाट और पंजाबी, राजस्थानी चटपटे व्यंजन भी लोगों को जमकर भाए। रीवा के लोगों के लिए यह अहसास कभी न भूलने वाला रहा।
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