भारत-जापान के बीच संबंधों के नए युग की शुरुआत

जापान के पीएम के दौरे का आज दूसरा दिन भी बेहद ख़ास होने वाला है, क्योंकि आज निगाहें होंगी बहुमुखी द्वपक्षीय संबंधों पर। आज होने वाली भारत-जापान शिखर वार्ता में दुनिया भर की नज़र उन समझौतों और साझेदारियों पर होंगी जो दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम देंगे।

दोनों नेता गुरुवार को होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और दोनों देशों के बीच बहुमुखी संबंधों को बढ़ाने और विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझोदारी को आगे बढ़ाने के उपायों पर विचार करेंगे। मोदी और आबे के बीच यह चौथा वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा। शिखर सम्मेलन से पहले पीएम मोदी ने कहा है कि भारत जापान के साथ अपने संबधों को भारत काफी महत्व देता है और दोनों नेता मिलकर भारत और जापान के बीच बहुआयामी सहयोग में हालिया प्रगति की समीक्षा करेंगे। पीएम ने कहा- भारत जापान के साथ अपने संबंधों को काफी महत्व देता है तथा हम विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय रिश्तों को और आगे बढ़ाने के लिए आशान्वित हैं।
शिखर सम्मेलन से पहले शिंजो आबे ने भी भारत के साथ अपने देश के संबंधों को बेहद महत्वपूर्ण और विशेष बताते हुए दौरे से संबंधों के नए युग के सूत्रपात तथा इसे और गहरा बनाने की उम्मीद जताई है। आबे ने कहा- भारत और जापान सार्वभौम मूल्यों और सामरिक हितों को काफी महत्व देते हैं और हम इसे साझा करते हैं। मुझे विश्वास है कि मेरी भारत यात्रा से हमारे द्विपक्षीय संबंध अपनी पूरी क्षमता के साथ विकसित होंगे। मैं इस बात के लिए प्रतिबद्ध हूं कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हम हिन्द प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करें।
गुरुवार को ही पीएम मोदी और आबे मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेलवे के भूमि-पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे। जापान के सहयोग से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में लगभग पांच साल लगेंगे और आम जनता को 2022 तक बुलेट ट्रेन में यात्रा करने का मौका मिलेगा। दोनों प्रधानमंत्री वडोदरा में बनने जा रहे हाई-स्पीड रेल प्रशिक्षण संस्थान के भूमि-पूजन कार्यक्रम में वीडियो लिंक के जरिए शामिल होंगे।
कुल मिलाकर गुरुवार को दोनों नेता मिलकर भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझोदारी की भविष्य की दिशा तय करेंगे।

रक्षा संबंधों की बात करें तो सुरक्षा समेत कई क्षेत्रों में भारत और जापान के संबंध मजबूत हुए हैं। जापान उन चुनिंदा देशों में है, जिनके साथ शीर्ष स्तर पर भारत का सलाना सम्मेलन होता है।
भारत-जापान असैन्य परमाणु सहयोग करार होने के बाद अब इसे आगे ले जाने और परियोजना शुरु करने को लेकर बातचीत शुरू होनी है ।
दोनों देश ये तय करेंगे कि इस पर कैसे आगे बढा जाए ताकि इससे भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम में योगदान मिल सके। भारत एवं जापान आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जता चुके हैं और दोनों नेताओं के संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ जंग में ये सहयोग और बढ़ाने पर जोर हो सकता है

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *