धारवाड़ पद्धति से अरहर की खेती करने की सलाह

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किसान अपने खेतों एवं तालाबों के पाल पर अरहर की धारवाड़ पद्धति से बुआई करें। धारवाड़ पद्धति से अरहर लगाने में पौधों को पर्याप्त दूरी मिलने से पौधों में शाखाएं अधिक आती है तथा फूल-फल अधिक आते है जिससे उत्पादन अधिक मिलता है। पौधों को बंड पर लगाने से कम वर्षा की स्थिति में नाली को दोनों सिरों से बंद कर जल को खेतों में रोका जा सकता है एवं अधिक वर्षा की स्थिति में नालियों को खोलकर पानी को खेत के बाहर निकाला जा सकता है जिससे फसल गलती नहीं है।

किसान खेतों में एवं तालाबों की बंड पर अरहर की धारवाड़ पद्धति से अभी पौधे तैयार करें, ताकि वर्षा आरंभ तक पौधे तैयार हो जाएंगे। जैसे ही वर्षा 5-6 इंच होने के पश्चात तालाबों की पाल पर एवं खेत में बंड बनाकर बंड के ऊपर पौधे लगायें एवं अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करें।

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