अमेरिका लाभ का व्यापार जानता है मित्रता नही

अमेरिका व्यापार जानता है मित्रता नहीं

 मित्रता के नाम पर सबसे अविश्वसनीय देश अमेरिका है। यथार्थ है कि यह किसी का मित्र देश नहीं है ना ही उसका स्वभाव ही मित्र का है। अमेरिका देश स्वभाव से व्यापारी है ।जहां  जब तक लाभ दिखता है वहां तक मित्रता। मित्रता का स्तर यह भी हो सकता है कि जिसे वह मित्र कहे उसी का विनाश करना।
 हाल के वर्षों में कहने के लिए भारत अमेरिका के संबंध मधुर हो गए हैं मित्रता प्रगाढ़ हुई है। आतंकी गतिविधियों के कारण पाकिस्तान को मिलने वाली मदद रोक दी गई है लेकिन यह सब दिखावटी है एक तरफ पाकिस्तान को पैसे के लिए तरसा था रहा है जिससे वो  उसकी हर बात माने दूसरी तरफ भारत से  जताता रहा कि वह पाकिस्तान को इस कारण से मदद नहीं दे रहा क्योंकि वह आतंकी गतिविधियों में लिप्त देश है। हकीकत में वह पाकिस्तान को अफगानिस्तान बनाकर भारत के लिए सरदर्द  बनाए रखना चाहता है ।पहले आर्थिक मदद देकर पाकिस्तान में आतंकी पालने का परोक्ष कार्य चलाता रहा और अब  भिखारी पाकिस्तान के रूप में एक ऐसा देश बना दिया  दिया जहां लोग पैसे के लिए गलत गतिविधियों में अपने आप को शामिल करेंगे। आतंकवाद और आक्रमणकारियों की एक नयी फौज तैयार होगी जो रोटी के लिए मर मिटेगी।
इसके साथ ही साथ अभी तक बंद आर्थिक मदद भी चालू कर दी । पाकिस्तान को अमेरिका की मदद ऐसी है कि ना तो उसको मरने देना है ना ही उसको सुख से जीने देना। अभी भी आर्थिक मदद  भारत के विरोध के बाद भी जारी की गई है । अमेरिका अपने दोहरे चरित्र को दिखाकर एक तरफ भारत को रुस से व्यापार के लिए रोक लगाता है दूसरी तरफ पाकिस्तान की मदद करता है । लेकिन आज भारत मे यह ताकत है कि वह  अमेरिका के मुंह पर ही उसे दोगला कह सके।अभी जब अमेरिका ने अपने साथियों के साथ पाकिस्तान की आर्थिक मदद की और कुछ बातों को लेकर भारत पर उंगली उठाई तो हमारे देश के विदेश मंत्री ने अमेरिका की जमीन पर ही साफ शब्दों में कह दिया अमेरिका यह न समझे कि दुनिया उसकी समझ नहीं रही है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
14 अक्टूबर 2022
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