विरोधियों के विरोध से नहीं पलटते देशहित के निर्णय

 

कोई अगर खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाता है वह भी नए कृषि कानून के विरोध में तो वह किसान कैसे हो सकता है ?  अगर कृषि कानून मे कोई समस्या है तो बात इस पर होनी चाहिए कृषि कानून में खालिस्तान कहां से आ गया ?  इंदिरा गांधी को ठोका है मोदी को भी ठोकेंगे  अगर हमारी बात नहीं मानी है ऐसा कहने वाला किसान कैसे हो सकता है ?इंदिरा जी तो कृषि कानून नहीं लाई थीं और न ही मोदी जी के समय स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से मुक्त कराने का कोई कार्य हो रहा है तब ऐसी भाषा क्यों ? अगर कुछ लोगों को कृषि कानून में कोई समस्या है तो इसके निराकरण का रास्ता बातचीत और संशोधन है देश तोड़ने की बात नहीं ।
  विरोध प्रदर्शन में  मान भी लिया जाए कि कुछ किसान है तो यकीन मानिए इनकी इन देश विरोधी हरकतों से वह स्वयं ही समय  रहते अपने आप को इनसे अलग कर लेंगे ।
वर्तमान भारत सरकार ने किसानों के हित में कई फैसले लिए और उनका लाभ भी किसानों को मिल रहा है। चाहे सिंचाई सुविधा हो खाद बीज की बात हो चाहे कृषि के यंत्रीकरण की बात हो कृषि उत्पाद खरीदी में तो इन वर्षों में रिकॉर्ड बना है ।अगर हम राज्य सरकारों के प्रयास में मध्यप्रदेश का उदाहरण लेते हैं तो प्रदेश लगातार 5 वर्षों से कृषि उत्पादन में कृषि कर्मण राष्ट्रीय पुरस्कार ले रहा है। गेहूं खरीदी मे पंजाब को भी पीछे कर दिया है ।जो कभी  बीमारू राज्य था वह  आज कृषि उत्पादन में देश में नंबर एक है यह सब कृषि और किसान के हितों को ध्यान में रख किए गए कार्यों का ही परिणाम है।
 यह बात भी सच है की कमियां सदैव रहेंगी क्योंकि व्यवस्था कानून बनाने वालों के साथ उन व्यक्तियों पर भी निर्भर करती है जिन पर कानून लागू करने की जिम्मेदारी होती है ।
 विपक्ष का काम है सत्ता पक्ष के कार्यों का विरोध करना। अगर विरोध जायज होता है तो जनता का भी समर्थन मिलता है लेकिन कुछ समर्थन पार्टी के कार्यकर्ताओं के कारण विपक्ष को हमेशा रहता है इसका मतलब यह नहीं होता है कि सत्ता पक्ष का जो भी निर्णय देश हित में हो विपक्ष के विरोध के कारण बदल दिया जाए या वापस कर लिया जाए ।विपक्ष का काम है सत्ता पक्ष का विरोध करना और अपने विरोध से जनता को अवगत कराना। यहां हर 5 वर्ष में चुनाव आते हैं विरोध सही या गलत है इसका निर्णय जनता चुनाव के दौरान कर देती है ।सत्ता पक्ष हो या विपक्ष उसके कार्यों पर सहमति असहमति की मुहर तो जनता द्वारा ही लगाई जाती है इसलिए विपक्ष को जनता की सहमति का इंतजार करना चाहिए।
 विपक्ष ने धारा 370 हटाने का विरोध किया , राम मंदिर निर्माण का विरोध किया यहां तक कि प्रभु श्री राम के अस्तित्व को ही नकार दिया गया था। जनता ने अपनी सहमति सत्तापक्ष को दिया उसको इतनी ताकत दी कि वह धारा 370 को हटा सके और प्रभु श्रीराम के मंदिर  निर्माण का कार्य प्रारंभ कर सके।
 किसान हित में जो भी कानून सत्ता पक्ष द्वारा बनाया गया है वह ठीक है या गलत इसका निर्णय भी जनता अपना समर्थन या विरोध चुनाव के दौरान करके देगी लेकिन जिस तरीके से  इस कानून के विरोध में कुछ लोगों द्वारा देश का विरोध किया जा रहा है वो किसान तो बिल्कुल नहीं लगते हैं ।उनको भी जानता ही गलत या सही ठहरायेगी ।  खालिस्तान के नारे ,देश विरोधी कृत्य में लगे लोगों की रिहाई और गुंडों जैसी भाषा का भी जवाब  भी जनता ही देगी। लेकिन इन सबके बीच जो सत्य है वह यह कि वर्तमान सरकार को जनता ने  5 वर्ष निर्णय के लिए दिया है और वह उसी आधार पर यह निर्णय ले रही है  यह ऐसी सरकार है जिसमें देश हित मे फैसले लेने की ताकत है । इसके निर्णय विरोध से पलटने वाले नहीं हैंं।
सीएए और एनआरसी का भी विरोध विपक्ष के द्वारा किया गया।  विरोधियों के विरोध से ऐसा लगता है कि विरोध देश के पक्ष में नहीं देश के विरोध में किया गया और ऐसे विरोध का समर्थन देश नहीं करेगा ।कुल मिलाकर विपक्ष के विरोध से देश हित में लिए गए फैसले नहीं पलटते हैं  और एक बात मैं भी किसान हूं और मैंने केंद्रीय तथा मध्य प्रदेश की राज्य सरकार की किसान हितैषी निर्णयों का लाभ लिया है और ले रहा हूं इसलिए कह सकता हूं कि सरकार के निर्णय  किसान के हित में हैंं।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
11 दिसंबर 2020
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