पुरानी पेंशन नयी सरकार

पुरानी पेंशन नई सरकार

 जहां जहां कांग्रेस सरकार है राज्यों मे है वहां उसने पुरानी पेंशन स्कीम चालू कर दी है। इसी की राह पर आम आदमी पार्टी तथा अन्य भी हैं।उसने भी अपने शासित राज्यों मे यह काम कर दिया है। पुरानी पेंशन बहाली नई सरकार बनाने का सहायक औजार बन गई है। मध्यप्रदेश में भी कमलनाथ ने कहा कि अगर हमारी सरकार प्रदेश में आती है तो पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होगी।
 पिछली बार किसान कर्ज माफी का वायदा था उसका लाभ भी मिला और कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में  सरकार बनाई ।  2003 से पुरानी पेंशन बंद कर दी गई 2004 में नई पेंशन स्कीम लागू की गई और 2005 में  यह पेंशन व्यवस्था प्रारंभ हो गई। यह पेंशन व्यवस्था लागू तो हो गई लेकिन इस नई पेंशन स्कीम मे समस्या बहुत है । पेंशन कटौती का पैसा शेयर बाजार म्युचुअल फंड में लगता है और लाभ के आधार पर एक न्यूनतम राशि के साथ लाभ आधारित पेंशन कर्मचारियों को देना था ।लेकिन देखने में आया कि यह कारगर साबित नहीं हुई है और लोगों को लंबी नौकरी के बाद भी अच्छी पेंशन नहीं मिल रही है। जब यह व्यवस्था लागू की गई थी उस दसकों मे देश की आर्थिक स्थिति कमजोर थी ।  जिन उद्देश्यों को लेकर यह लागू ल की गई थी उसमें यह सफल नहीं रही इसलिए इस पेंशन स्कीम पर कर्मचारियों का गुस्सा है।
 पुरानी पेंशन को लेकर सोशल मीडिया में भी कई तरह तरह के जोक आते हैं। एक शादी का जोक आया जिसमें वर कह रहा है कि अब मुझे कोई टेंशन नहीं है क्योंकि मैं  पुरानी पेंशन पाने का हकदार हो गया।
 पुरानी पेंशन बहाली व्यवस्था कर्मचारियों की मांग है ।  जिस प्रकार केंद्र की सरकार ने सुरक्षाबलों की समान पेंशन व्यवस्था बहाली कर वाहवाही लूटी और फायदा पाया था।  वही फायदा अब गैर भाजपा दल पुरानी पेंशन व्यवस्था की बात करके ले रहे हैं। कर्मचारी चाहे जिस पार्टी का समर्थक हो अपना हित तो देखेगा ही इसलिए भाजपा समर्थित कर्मचारी की पुरानी पेंशन बहाली के पक्ष में हैं। इस पेंशन बहाली में भाजपा का लाभ है हर दूसरा तीसरा परिवार या तो प्रत्यक्ष रूप से या परोक्ष रूप से इससे प्रभावित है इसलिए यह मांग लगभग सभी की  हो जाती है। इसलिए पुरानी पेंशन बहाली व्यवस्था नई सरकार बनाने में एक बड़ा मुद्दा बनेगी।
इसका जो भी पार्टी समर्थन करेगी उसका लाभ मिलना ही मिलना है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
28 फरवरी 2022
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