सबसे आसान है इस देश में अफवाह फैलाना

अपने देश में अफवाह फैलाना सबसे आसान है ।कभी-कभी तो लगता है कि अपना देश अफवाहों का देश बन गया है यहां कभी मूर्तियां दूध पीने लगती हैं तो कभी मुंहनोंचवा जैसा जीव आकर लोगों का मुंह नोचने लगता है। तो कभी महिलाओं की चुटिया कटने लगती है, कभी हरी चादर तो कभी सफेद के नीचे पोलियो के मरीज ठीक होने लगते हैं ।पागलों के लिए चौरा तो आम बात है ऐसे चौरों में सामान्य जन तो ठीक डॉक्टर भी मरीज भेज देते हैं। हॉस्पिटल में झाड़-फूंक चलती है तो ऊंट की सूसू लगाने से गंजों के सिर में बाल आने लगते हैं। कहीं जूठा खाने से बच्चे पैदा होने लगते हैं तो कहीं उल्टा पैदा होने वाले खजाने से भरे हाड़ा खुदवाने लगते हैं। जीव संरक्षण में चलो अंधविश्वास मान भी ले तो कभी नाग – नागिन आदमी के रूप में आकर डांस करने लगते हैं। यहां समोसे की चटनी से कृपा बरसने लगती है तो भक्तों की गोदी में साधक कूदने लगती है तो कहीं हरी चादर  उड़ने लगती हैं इन चादरों के नीचे खूब उठापटक होती है। भूत भाग जाते हैं तो बच्चे पैदा होने की कहानियां बन जाती हैं ।तो कहीं क्रास  के छूने ही बस से सारी बीमारी छूमंतर हो जाती है ।कहीं पत्थर की मूर्तियां बढ़ने लगती हैं कुल मिलाकर हमारे यहां अफवाहों के लिए बहुत ही उर्वर जमीन है। और यही अफवाहें उन हर प्रकार के दुकानदारों के लिए फायदेमंद होती हैं जो अपना अपना उल्लू सीधा करने के लिए कोई न कोई गलत काम करना चाहते हैं ।अलग-अलग कंपनी के लोग अपने चेलों के माध्यम से  ऐसी अच्छी बुरी अफवाह फैलाते हैं जिससे उनकी दुकानदारी तेजी से चल सके ।
अभी हाल मे हुए और चल रहे सीएए और एनआरसी ( नागरिकता संशोधन कानून और (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर )के विरोध में हुए प्रदर्शन और हिंसक घटनाएं ऐसे ही दुकानदारों के फायदे वाले विज्ञापन थे जिससे इनकी दुकानें चलती रहें। सीएए और एनआरसी में ऐसा कुछ नहीं है जिससे भारत के मुसलमानों को कोई नुकसान हो । सीएए ( नागरिकता संशोधन कानून)  के तहत जो गैर मुस्लिम पाकिस्तान, अफगानिस्तान , बांग्लादेश में अपने धार्मिक मान्यताओं के कारण प्रताड़ित हैं और वह किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत में शरण ले चुके हैं और वर्षों से यहां शरणार्थी के रूप में जीवन बिता  रहे हैं उन्हें यहां की नागरिकता देकर एक बेहतर जीवन देने का मौका देने बस का प्रयास है।
 क्योंकि जब देश का विभाजन हुआ था तब हमारे उस समय के देश के वरिष्ठ नेताओं ने इन लोगों से वादा किया था कि अगर आप लोगों के साथ पाकिस्तान मे किसी तरह का भेदभाव होता है आपको प्रताड़ित किया जाता है तो आपके लिए भारत में आने का अधिकार हमेशा बरकरार रहेगा।
 आज उन प्रताड़ित गैर मुस्लिमों से भारत सरकार ने उसी वादे के तहत उनके जख्मों में मरहम लगाने का काम किया है। इसमें किसी भी भारतीय मुसलमान के हितों को जरा भी आंंच नहीं आ रही लेकिन अफवाह फैला कर उन्हें प्रदर्शनों के लिए प्रेरित किया गया।
एन आर सी ( राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) मे देश के सभी नागरिकों का लेखा जोखा रखने का प्रयास है इसमें भी भारतीय मुसलमानों का कोई नुकसान नही है तब भी इसके खिलाफ प्रदर्शन और विरोध हो रहे हैं।
यह बात भी सच है जो यहां का है उसको डर कैसा और जो नहीं है उसका घर कैसा।
  प्रत्येक देश अपने नागरिकों की जनसंख्या अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयत्न करता है ।अब अगर उसके उपलब्ध संसाधन में कोई और डाका डाल दे तो यह कतई उचित नहीं कहा जाएगा। जैसे किसी ने अपने पारिवारिक कार्यक्रम में 100 लोगों को आमंत्रित किया  उसमें उसके निमंत्रित की जगह 500 लोग जबरदस्ती घुस आए तो उसका कार्यक्रम तो ध्वस्त हो गया। संसाधन न तो 100 लोगों के लिए रह गया न ही 500 लोगों के लिए पर्याप्त हुआ। यह अराजकता वाली स्थिति निर्मित न हो  ऐसी अराजकता से देश को बचाने के लिए केंद्र सरकार काम कर रही है। केवल सरकार यह चाहती है कि जिन संसाधनों को निर्मित करने का प्रयास करें उसका उपयोग कितने लोगों के लिए आवश्यक होगा आखिर उसे यह सही जानकारी तो मिले ।
लेकिन नहीं अफवाह फैलाकर  उस काम को जो देश हित के लिए किया जा रहा है उसको विफल करने का प्रयास किया जा रहा है। देश के नागरिकों को अफवाह से दूर रहना चाहिए और कोई यह कहे कि कौवा कान ले गया उस पर विश्वास करके कौवे के पीछे दौड़ने के बजाय एक बार अपने कान को भी पकड़ कर खींच कर देख लेना चाहिए कि हकीकत क्या है।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
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