प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन से 22.72 लाख टन Co2 के उत्सर्जन में कमी

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मध्यप्रदेश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिये नवकरणीय ऊर्जा के स्रोतों, प्रमुख रूप से पवन, सौर, बॉयोमास और लघु जल ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा में 1795.90 मेगावॉट की परियोजना से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इसमें पवन ऊर्जा से 943.60 मेगावॉट, सौर ऊर्जा से 683.20 मेगावॉट, बॉयोमास ऊर्जा से 82.55 मेगावॉट और लघु जल विद्युत ऊर्जा से 86.55 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। इनके उपयोग से प्रदेश में सालाना लगभग 22.72 लाख टन कार्बन डाई आक्साइड (Co2) के उत्सर्जन में कमी आयी है।

देश में नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के लिये वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट का लक्ष्य तय किया गया है। मध्यप्रदेश में इसके लिये प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं। नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिये प्रदेश में 58 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है। प्रदेश में 51 सौर ऊर्जा, 157 पवन ऊर्जा, 6 बॉयोमास ऊर्जा और 49 लघु जल ऊर्जा की परियोजनाएँ प्रक्रियाधीन हैं। इन परियोजना के पूरा होने पर प्रदेश में 9,188 मेगावॉट क्षमता निर्मित होगी।

सोलर पम्प को बढ़ावा

प्रदेश में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर एनर्जी से सिंचाई को बढ़ावा देने के लिये सोलर पम्प को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में 2,613 सोलर पम्प लगवाये जा चुके हैं।

ग्रामीण विद्युतीकरण योजना

प्रदेश में ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में 594 अविद्युतीकृत ग्राम को सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत किया जा चुका है। वर्तमान में केन्द्र सरकार की योजना में करीब 24 करोड़ की लागत से प्रदेश के 4 जिले के 18 गाँव को अक्षय ऊर्जा से रोशन किया जा चुका है।

 

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