तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पेश
आज राज्यसभा में तीन तलाक से जु़ड़ा बिल पेश हुआ, हालांकि विपक्ष के हंगामे के कारण बिल पास न हो सका और राज्यसभा को दिनभर के लिए स्थगित करना पड़ा।
क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज राज्यसभा में विधेयक को पेश किया। एक साथ तीन तलाक विधेयक को लोक सभा पहले ही पारित कर चुकी है।
राज्यसभा में एक साथ तीन तलाक़ विधेयक पेश किए जाने के एकदम बाद विपक्ष ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया और क़ानून मंत्री को अपना मत सदन में रखने नहीं दिया।
इस बीच केन्द्रीय वित्त मंत्री और सदन के नेता अरूण जेटली ने सदन में कहा कि इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की कोई आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि तुरंत तीन तलाक़ को उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले ही असंवैधानिक क़रार दिया जा चुका है।
फिर मांग दोहराई कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए।
कांग्रेस के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने लोक सभा में इस विधेयक को पारित करने में अपना समर्थन दिया था लेकिन आज राज्यसभा में कांग्रेस के रूख़ से उसका दोगलापन सामने आ गया।
मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने और तीन तलाक की क्रूर प्रथा से उनको आजादी दिलाने की कोशिशों के तहत मोदी सरकार ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को लोकसभा से पास करा लिया है। अब इस बिल को अमली जामा पहनाने की राह में अगला कदम है संसद का उच्च सदन यानी राज्यसभा।
सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पेश करने से पहले विपक्षी दलों से विचार विमर्श कर रही है । सरकार बुधवार को ये विधेयक राज्यसभा में पेश करने की तैयारी में हैं। दरअसल राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है इसलिए वो विधेयक को पेश करने से पहले व्यापक विचार विमर्श कर रही है कुछ दल विधेयक के कुछ प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं और इसे विस्तृत समीक्षा के लिए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस विधेयक पर अपना रूख तय करने से पहले व्यापक विपक्ष से मशविरा कर रही है। वैसे कांग्रेस खुलकर अभी कुछ नहीं कह रही है लेकिन उसका कहना है कि वो बिल के समर्थन में है। दरअसल इस कानून में मुस्लिम पतियों द्वारा एक बार में तीन तलाक या तलाक ए बिद्दत को खत्म करने उसे अवैध घोषित करने तथा इस अवैध कार्य को एक दंडनीय अपराध घोषित करने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक मुस्लिम पतियों द्वारा अपनी पत्नियों को मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रानिक या किसी अन्य तरीके से तलाक कहने को पूरी तरह से अवैध होगा। विधेयक में तीन तलाक को एक दंडनीय अपराध बनाया गया है जिसके लिए तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान हैं।
इसमें तलाक की स्थिति में मुस्लिम महिला और उसकी आश्रित संतानों के जीवन यापन के लिए निर्वाह भत्ते का प्रावधान है। इसके अलावा मुस्लिम महिला अपनी अव्यस्क संतानों के देखभाल की हकदार होगी। तीन तलाक के अपराध में पति को तीन साल की सजा के प्रावधान वाले विधेयक का भले ही कुछ दल विरोध कर रहे हों लेकिन मुस्लिम महिलाएं और याचिकाकर्ता इसके पक्ष में है।
फिलहाल सरकार विधेयक को जल्द से जल्द दोनों सदनों से पारित कराने की कोशिश में है। दोनों सदनों की मंजूरी के बाद इसे फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा और तब ये कानून बन जाएगा।