न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा बने देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने आज भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद ने उन्हे पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाई।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने सोमवार(28 अगस्त) को देश के मुख्यन्याधीन पद की शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति जेएस केहर के बाद मुख्य न्यायाधीश का पदभार उन्हें सौंपा गया है। 27 अगस्त को न्यायमूर्ति जे. एस. केहर सेवानिवृत्त हो गए थे।
न्यायमूर्ति केहर ने प्रधान न्यायाधीश पद पर अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति मिश्रा के नाम की सिफारिश की थी। वहीं न्यायमूर्ति मिश्रा 14 महीने तक प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे। दो अक्टूबर, 2018 को वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। न्यायमूर्ति मिश्रा देश के प्रधान न्यायाधीश बनने वाले ओडिशा के तीसरे व्यक्ति हैं। उनसे पहले ओडिशा से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी. बी. पटनायक प्रधान न्यायाधीश रह चुके हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन की मृत्युदंड पर रोक लगाने की याचिका खारिज करने वाली पीठ और निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने वाली पीठ के अध्यक्ष रहे हैं। तीन अक्टूबर, 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा ने 14 फरवरी, 1977 को न्याय व्यवस्था में बतौर वकील प्रवेश किया और उन्होंने ओडिशा उच्च न्यायालय एवं सेवा न्यायाधिकरण में संवैधानिक, नागरिक, आपराधिक, राजस्व, सेवा एवं बिक्री कर मामलों के विशेषज्ञ वकील के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।