पचमठा के पुनरोद्धार जैसे कार्यों से रीवा का कल्याण होगा – उद्दोग मंत्री श्री शुक्ल

 

आदि गुरू शंकराचार्य के विचारों तथा ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिये 19 दिसम्बर से रीवा में एकात्म यात्रा आयोजित की जा रही है। रीवा में इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। पचमठा आश्रम में रीवा के प्रबुद्ध जनों की संगोष्ठी आयोजित की गयी जिसमें एकात्म यात्रा तथा पचमठा के पुनरोद्धार के संबंध में विचार मंथन किया गया। संगोष्ठी में प्रदेश के खनिज उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि पचमठा के पुनरोद्धार जैसे कार्यों से रीवा का कल्याण होगा। रीवा की पहचान नये सिरे से स्थापित की जा रही है। एकात्म यात्रा के माध्यम से आदि गुरू शंकराचार्य के विचारों तथा आध्यात्मिक चेतना को जन-जन तक पहुंचाया जायेगा। एकात्म यात्रा हमें भावी पीढ़ी को शंकराचार्य के विचारों से परिचित करने का अवसर दे रही है। संगोष्ठी से पहले श्री शुक्ल ने पचमठा आश्रम के संत शिरोमणि श्री ऋषि कुमार जी की समाधि पर पुष्पांजलि आर्पित की।
मंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि पचमठा आश्रम में आदि गुरू शंकराचार्य ने कुछ समय निवास किया था। इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि उन्होंने इसे अपनी पंचमपीठ घोषित किया था। जिसके कारण इसका नाम पचमठा पड़ा।  इस आश्रम को विकसित करने के लिये हर संभव प्रयास किये जा रहें हैं। मुख्यमंत्री जी ने  पचमठा के विकास के लिए आवश्यक राशि देने की बात कही है। इस आश्रम को विकसित करने तथा इसे ज्ञान प्राप्त करने की प्राप्ति का केन्द्र बनाने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं विकसित की जायेगी। बीहर नदी में विक्रम पुल से लेकर राजघाट तक पाथवे निर्माण की सभी बाधाएं दूर हो गयी हैं। इसका निर्माण शीघ्र प्रारंभ होगा। इसके बन जाने से पचमठा में भी आवागमन सुगम होगा। उन्होंने कहा कि 19 दिसम्बर को मार्तण्ड स्कूल मैदान में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। एकात्म यात्रा के इस शुभारंभ अवसर पर हर व्यक्ति शामिल हो कर विन्ध्य के ऐतिहासिक गौरव तथा आध्यात्मिक विरासत को सहेजने के गौरवपूर्ण क्षण का सहभागी बने।
संगोष्ठी में सांसद श्री जनार्दन मिश्र ने कहा कि जिस काल में शंकराचार्य जी का उद्भव हुआ वैसी ही विषम परिस्थितियां तथा धर्म के लिए कठिन समय वर्तमान में भी है। शंकराचार्य ने अपने ज्ञान के आलोक से उस समय की कठिनाईयां दूर की। उनके ज्ञान से वर्तमान को भी मार्गदर्शन मिलेगा। संगोष्ठी में डॉ. कुशल शास्त्री ने कहा कि एकात्म यात्रा के माध्यम से शंकराचार्य के विचारों को जन-जन तक पहुंचने का मुख्यमंत्री जी का संकल्प पूरा होगा। पचमठा सदैव से शैव साधको तथा आराधकों का केन्द्र रहा है। इसके शंकराचार्य जी से जुड़े होने  के अकाट्य प्रमाण है। उन्होंने पचमठा की व्यवस्था तथा इतिहास के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में बलराम पाण्डेय ने कहा कि पचमठा के आचार्य ऋषि कुमार जी के प्रयासों से संस्कृत भाषा तथा संस्कृति की रक्षा हुई। डॉ. चन्द्रिका प्रसाद चन्द्र ने संगोष्ठी में कहा कि शंकराचार्य जी की धार्मिक यात्रा का रीवा महत्वपूर्ण बिन्दु है। उनकी ज्ञान परम्परा को एकात्म यात्रा से पुन: जागृत करने का प्रयास सफल होगा। संगोष्ठी में डॉ. रामनरेश तिवारी, डॉ. उमाकांत मिश्र, रामाधार द्विवेदी, अशोक पाण्डेय, चिनमय मिशन के स्वामी केशवानंद तथा पचमठा आश्रम के स्वामी विजयशंकर ब्राम्हचारी जी ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी का संचालन करते हुए पत्रकार श्री जयराम शुक्ल ने कहा कि पचमठा की धरती के दिन बहुरेगें। इसका शीघ्र ही कायाकल्प होगा। संगोष्ठी में प्रभाशंकर चतुर्वेदी, सीबी. शुक्ला, आरवी, शर्मा, शिवशंकर शिवाला, सुशील तिवारी, दीनानाथ शास्त्री, डॉ. एमपी अग्निहोत्री सहित्यकार, कलाकार,बुद्धजीवी, आचार्यगण, राजेश पाण्डेय,विवेक दुबे तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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