केंद्र सरकार की तरफ से कपड़ा क्षेत्र को बड़ी सौगात
सरकार ने निर्यात प्रोत्साहन योजना के तहत रेडिमेड कपड़ों, मेड अप्स के लिए प्रोत्साहन दो गुना बढ़ाकर चार प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले से रेडिमेड गार्मेंट और मेड-अप्स का निर्यात बढ़ने के साथ बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होगा।
वस्त्र क्षेत्र में तेजी से सुधार की दिशा में कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने निर्यात प्रोत्साहन योजना के तहत तैयार कपड़ों, मेड अप्स के लिए प्रोत्साहन को दो गुना बढ़ाकर चार प्रतिशत करने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से जहां इस क्षेत्र में रोजगार सृजन में मदद मिलेगी वहीं रेडिमेड कपड़ों और मेड अप्स कपड़ों के निर्यात में बढ़ोत्तरी होगी।
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि अब वार्षिक प्रोत्साहन के अंतर्गत साल 2017-18 के लिए 1,143.15 करोड़ रुपये और साल 2018-19 के लिए 685.89 करोड़ रुपये सरकार कर में छूट देगी।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने सरकार के इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि “सरकार ने रेडिमेड कपड़ों, मेड अप्स और एए आरओएसएल के तहत आने बनने वाले वस्त्रों पर जो छूट देने जा रही है, उससे कपड़ों और मेड-अप्स के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार ने आरओएसएल की पोस्ट-जीएसटी दरें कपास के वस्त्रों के लिए अधिकतम 1.70%, हस्तनिर्मित कपड़ों के लिए 1.25%, सिल्क और ऊनी वस्त्रों और इनके मिश्रणों से बने परिधानों के लिए 1.48% तक की हैं। कपास मेड-अप्स के लिए अधिकतम 2.20%, हस्तनिर्मित परिधानों के लिए 1.40% और रेशम मेड-अप्स और इन्हें मिलाकर बनने वाले कपड़ों के लिए 1.80% तक की सीमाएं हैं। जूट से बने बैग के लिए दर 0.60% है। एए-एयर संयोजन के तहत कपड़ों के लिए आरओएसएल की दर 0.66% रखी गईं है।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत से व्यावसायिक निर्यात योजना एमईआईएस योजना के तहत यह प्रोत्साहन दर बढ़ाई गई है। बढ़ी दर एक नवंबर से अगले साल 30 जून तक लागू रहेगी।
गौरतलब है कि वस्त्र क्षेत्र को पड़ोसी देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ यूरोपीय देशों से काफी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही पहले दरों में काफी असमानताएं होने और वस्त्र क्षेत्र में निर्यात कम होने के कारण गिरावट दर्ज की गई थी। सरकार के इस ताजा फैसले से वस्त्र क्षेत्र के तेजी से विकास करने की उम्मीद है। जिसके परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे।