विश्वविद्यालय अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का विनियोग ग्रामीण विकास और ग्रामोत्थान के लिये करे

महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का 6 वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

महात्मा गॉधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का 6वां दींक्षात समारोह सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में भव्य एवं गरिमामय रूप से आयोजित किया गया। दींक्षात समारोह की अध्यक्षता करते हुये म.प्र. के राज्यपाल और कुलाधिपति ओमप्रकाश कोहली ने दींक्षात समारोह में वर्ष 2014 सें 2017 तक के उत्तीर्ण नियमित और दूरवर्ती माध्यमो के विद्यार्थियो को उपाधियां तथा मेडल प्रदान किये। इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. प्रदीप कुमार जोशी, कुलपति नरेशचन्द्र गौतम, डी.आर.आई. के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन भी उपस्थित थे।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के 6 वें दींक्षात समारोह मे अध्यक्षता करते हुये राज्यपाल श्री कोहली ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का विनियोग ग्रामीण विकास और ग्रामो के उत्थान के लिये करना चाहिये। चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय भारत का प्रथम ग्रामीण विश्वविद्यालय है जो विश्वविद्यालय के समूह में अपनी अलग पहचान रखता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत को शिक्षा, शोध एवं प्रसार कार्यो से प्रगति और विकास की ओर अग्रसर करना है। उन्होने कहा कि इस विश्वविद्यालय को परम्परागत विश्वविद्यालय से हटकर समाज परिवर्तन के लिये कार्य करना चाहिये। ग्रामोदय में ग्राम को विकास के केन्द्र मे रखकर विकास की कल्पना की जानी चाहिये। विकास के दौर मे यदि नीचे की सीढी के व्यक्ति का जीवन नही बदलता तो विकास के कोई मायने नही है। राज्यपाल ने कहा कि परम्परा और आधुनिकता दो अलग-अलग शब्द है। आधुनिक बनने के प्रयास में परम्परा से दूर हटकर उसका विरोध नही करना चाहिये बल्कि परम्परा को युगानूरूप बनाना ही आधुनिकता है।
समारोह में राज्य शासन के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि युगो के बाद परम्पराए बदलती है लेकिन संस्कृति कभी नही बदलती। सभ्यताए बदलती है लेकिन जीवन के मूल्य नही बदलतें। इसलिये संस्कृति की बुनियाद को कभी भूलना नही चाहिये। उन्होने कहा कि बुद्धि यदि ज्ञान से भरी हो और उस ज्ञान मे यदि कौशल भी हो तो अपने आस-पास की तस्वीर को बदलने मे जरा भी देर नही लगती। उच्च शिक्षा मंत्री ने दींक्षात समारोह में भारतीय वेशभूषा और अनुशासन का वातावरण देखकर विश्वविद्यालय को साधुवाद ज्ञापित किया। संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. प्रदीप जोशी ने कहा कि 12 फरवरी 1991 को शिवरात्रि के दिन इस ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना की आधारशिला राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा रखी गई थी। यह विश्वविद्यालय ग्राम में विकास और स्वावलम्बन के सपने को पूरा कर रहा है। चित्रकूट भारतीय संस्कृति का आधार है। कृषि और ऋषि भारतीय संस्कृति के केन्द्र बिन्दु रहे है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय सम्पूर्ण शैक्षणिक आध्यात्मिक ग्रामीण विकास एवं कृषि से संबंधित विभिन्न शिक्षा शोध प्रसार को जन-जन तक तक पहुंचाने गॉव-गॉव मे कार्यक्रम निर्धारित कर ग्रामीण विश्वविद्यालय के उद्देश्यो को सार्थक साबित कर रहा है।
दींक्षात समारोह में स्वागत भाषण में कुलपति प्रो. एन.सी.गौतम ने कहा कि दींक्षात समारोह विश्वविद्यालय परिवार के लिये उत्सव का दिन है विद्यार्थी और शोधार्थी अपनी उपाधियां और स्वर्ण पदक प्राप्त कर रहे है। वह उनके सतत् और सार्थक परिश्रम का जीवंत प्रतिफल है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि वह इस शिक्षा का उपयोग समाजहित मे करते हुये ग्रामोदय की शिक्षा से जीवन को सार्थक बनायेगें। समारोह में वर्ष 2014 से 2017 तक स्नातक परास्नातक एवं पी.एच.डी. धारक छात्र-छात्राओ को कुल 3805 विद्यार्थियो को उपाधियां प्रदान की गई। इस अवसर पर कुल 172 छात्र-छात्राओ को गोल्ड मैडल एवं प्रवीण्यता प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। कार्यक्रम के प्रारंभ मे कुलाधिपति एवं राज्यपाल ओ.पी.कोहली के नेतृत्व में विश्वविद्यालय परिसर मे विद्वत शोभा यात्रा भी निकाली गई।

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