किसानों पर आयी आपदा से निपटने और राहत पहुँचाने का वर्ष

संकट के समय पूरी सरकार थी किसानों के द्वार

shivraj singh chauhan

किसानों पर जो आपदा आयी उससे निपटने उन्हें राहत देने और इसका स्थायी समाधान निकालने में सरकार ने जो कदम उठाये वे मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार थे। यह भी पहली बार था जब किसानों पर आये संकट पर चर्चा करने के लिये विधानसभा का विशेष सत्र हुआ। आपदा के समय पूरी सरकार किसानों के साथ उनके द्वार पर खड़ी थी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गाँव-गाँव जाकर प्रभावित किसानों से मुलाकात की। यह भी प्रदेश के इतिहास में पहला अवसर था जब प्रदेश का मुखिया मुसीबत के समय पूरे दल-बल के साथ उनके पास था।

जनवरी, 2015 में जब ओला-पाला से फसल खराब हुई तो मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभावित किसान परिवार को एक रुपये किलो गेहूँ और चावल देने के निर्देश जारी किये। प्रभावित किसानों की बेटियों के विवाह पर कन्यादान योजना में 25 हजार की सहायता देने और उसे सामूहिक विवाह की बाध्यता से मुक्त करने को कहा। जिन किसानों की फसल 50 प्रतिशत से अधिक नष्ट हुई है, उनकी कर्ज वसूली स्थगित की गयी। उन्हें बिजली बिल भुगतान में एक वर्ष की छूट दी गयी। मुख्यमंत्री ने किसानों के बिजली बिलों की 50 फीसदी राशि समायोजित करने का भी फैसला लिया।

मंत्रि-परिषद की बैठक में किसानों को शून्य प्रतिशत पर ब्याज देने का निर्णय 2015-16 में भी जारी रहा। किसानों की नष्ट फसलों का सर्वे पारदर्शी ढंग से हो, इसके लिये संयुक्त सर्वे दल गठित किये गये। कटी हुई खराब फसलों को भी सर्वे में शामिल करने का आदेश भी पहली बार हुआ। ओला-पाला से अनाज के अलावा प्रभावित फसल जैसे सब्जी, मसाला, ईसबगोल की फसल के नुकसान पर 26 हजार प्रति हेक्टेयर की राहत देने और प्रभावित किसानों की सूची पंचायत कार्यालय में चस्पा हुई। पहली बार संतरे के नष्ट पेड़ पर प्रति पेड़ 500 रुपये की राहत देने की घोषणा हुई। अफलित अरहर का भी सर्वे करने के निर्देश दिये गये। गेहूँ खरीदी में भी प्रभावित किसानों की फसलों पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया। असमय वर्षा से फसल नुकसान में राहत का प्रावधान राजस्व पुस्तक परिपत्र में जोड़ने, फीकी चमक वाले और पतले गेहूँ का दाना भी पहली बार प्रदेश में खरीदा गया। बीमा कम्पनी द्वारा दी जाने वाली राशि के अतिरिक्त किसानों द्वारा जो राशि दी जाना है उसे राज्य शासन वहन करेगा। मुख्यमंत्री ने ओला-वृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद के लिये प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की।

रबी मौसम में कम वर्षा की आहट को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कृषि केबिनेट की बैठक में कमजोर मानसून के अनुमान को देखते हुए खेती की आकस्मिक कार्य-योजना को मंजूरी दी। हर जिले को कार्य-योजना बनाने को कहा गया। किसानों को 5500 करोड़ की बिजली पर सब्सिडी दी गयी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व पुस्तक परिपत्र में व्यापक संशोधन करते हुए प्राकृतिक आपदा से होने वाली हानि की राहत राशि डेढ़ लाख से बढ़ाकर 4 लाख रुपये की गयी। सोयाबीन में बीमारी और कीट-प्रकोप से निपटने के लिये कार्य-योजना बनाकर राज्य-स्तरीय कंट्रोल-रूम और डायग्नोस्टिक टीम का गठन किया गया। एसएमएस एडवायजरी और सोशल मीडिया का उपयोग किसानों को समझाइश देने के लिये किया गया। किसानों को रबी सीजन में किसानों को 2 माह के विद्युत देयक अग्रिम जमा करवाने पर अस्थायी कनेक्शन देने की व्यवस्था की गई। इससे 6 लाख किसान को 180 करोड़ रुपये की राहत मिली। पहली बार सूखे को देखते हुए शासकीय विभागों के बजट में 14 प्रतिशत की कटौती की गयी वाहन खरीदी को प्रतिबंधित किया गया।

मुख्यमंत्री ने सूखे से प्रभावित फसलों के बाद किसानों में छायी घोर निराशा को देखते हुए उन्हें राहत और ढाँढस बँधाने के लिये अपने पूरे मंत्रि-परिषद और शासन-प्रशासन के साथ गाँवों की ओर कूच किया। अक्टूबर माह में 25 से 27 तारीख तक मुख्यमंत्री, मंत्री, भारतीय प्रशासनिक, वन और पुलिस सेवा के अधिकारी गाँव पहुँचे और किसानों से सीधा सम्पर्क किया। उनकी समस्याएँ जानी और उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया कि सरकार संकट की इस घड़ी में उन्हें हर-संभव सहायता देने के लिये तत्पर है। परिणाम था कि किसानों के अंदर निराशा में कमी आयी। शासन द्वारा दी गई आर्थिक और मानसिक राहत से उनका आत्म-विश्वास लौटा। मुख्यमंत्री ने मैदानी दौरे से लौटकर आये मंत्री और अधिकारियों से 3 दिन तक रू-ब-रू चर्चा की और उनके सुझाव, अनुभवों को साझा किया। इसके आधार पर कृषि टॉस्क फोर्स को एक ऐसी व्यावहारिक नीति बनाने को कहा गया, जो कृषकों को आपदा में भी मदद पहुँचाने का काम करेगी।

मुख्यमंत्री ने साल में किसानों पर निरंतर 2 बार आयी प्राकृतिक आपदा से विचलित होकर यह संकल्प लिया कि अब किसानों पर आपदा में भी कोई संकट न आये, वे आसानी से उसे झेल सकें, इसके लिये स्थायी नीति बनायेंगे। उन्होंने नयी फसल बीमा योजना बनाने की पहल की। भोपाल में 15-16 जून को फसल बीमा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई, जिसमें देश के जाने-माने विशेषज्ञ शामिल हुए। किसानों को राहत देने के लिये नवम्बर माह में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। विशेष सत्र में बताया गया कि किसानों को तीन फेज बिजली देने के लिये 12 हजार करोड़ की सब्सिडी दी जायेगी। एक लाख रुपये के कर्ज पर सिर्फ 90 हजार किसानों को लौटाना पड़ेंगे। रुपये 3000 करोड़ की राहत राशि किसानों को देने और फसल बीमा योजना की लगभग इतनी ही राशि किसानों के खातों में जमा करने की जानकारी दी गयी। ट्रांसफार्मर जलने पर ट्रांसफार्मर के लिये 50 प्रतिशत के बजाय 10 प्रतिशत राशि जमा करने पर भी ट्रांसफार्मर लगाने की व्यवस्था की गयी। मुख्यमंत्री ने किसानों को हौसला देने के लिये आकाशवाणी के जरिये सीधा संवाद किया और कहा कि वे हौसला रखें, निराश न हों, सरकार उनके साथ है।

मुख्यमंत्री ने कृषि मंथन भी किया। इसमें कृषि क्षेत्र के वैज्ञानिकों से चर्चा की और कृषि विकास का एक नया रोड मेप बनाने की पहल की। इस मंथन में किसानों को आपदा से बचाने की दीर्घकालीन रणनीति पर विचार हुआ। यह भी निर्णय लिया गया कि अब फसल खराब होने पर उत्पादकता के आधार पर किसानों को राहत दी जायेगी। इसी बीच मुख्यमंत्री के कार्यकाल के सफल 10 साल पूरे हुए। उन्होंने किसानों के ऊपर आये संकट को देखते हुए न केवल विकास दशक समारोह को स्थगित कर मिसाल कायम की बल्कि इस दिन को सेवा संवाद के रूप में मनाया गया। किसानों पर आयी आपदा को लेकर मुख्यमंत्री दिल्ली में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और गृह मंत्री से भी मिले। उनसे मदद का आग्रह किया और इसका परिणाम सामने आया कि पहली बार प्रदेश के किसानों को केन्द्र सरकार से अब तक का सबसे बड़ा 2033 करोड़ का पेकेज मिला।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *