आईटीआई के बाद पॉलीटेक्निक और फिर हो इंजीनियरिंग
आरजीपीव्ही में शंखनाद-17 में तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री श्री जोशी
विद्यार्थियों में वास्तविक ज्ञान हो, इसके लिये जरूरी है कि आईटीआई के बाद पॉलीटेक्निक और फिर हो इंजीनियरिंग करने की व्यवस्था। इस तरह का प्रस्ताव एआईसीटीई नई दिल्ली को भेजा जाएगा। तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दीपक जोशी ने यह बात राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शंखनाद-17 में इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैय्या के जन्म-दिन पर आयोजित इंजीनियर्स-डे पर कही।
श्री जोशी ने कहा कि ऑटोमोबाइल इंजीनियर की कार बिगड़ने पर वह उसे सुधरवाने के लिये आठवीं पास मैकेनिक के पास ले जाता है। इसका कारण यह है कि उसे प्रेक्टिकल नॉलेज नहीं होता है। उन्होंने कहा कि प्रेक्टिकल नॉलेज पर अधिक ध्यान दें। देश की जरूरत के अनुसार तकनीक विकसित करें। श्री जोशी ने कहा कि जिस देश में दशमलव से शून्य तक की खोज की गई है, उसके गौरव से विद्यार्थियों को अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में सबका काम निर्धारित होने के कारण बेरोजगारी नहीं थी। मैकाले की शिक्षा पद्धति से बेरोजगारी बढ़ी है। श्री जोशी ने कहा कि मैं खुद हिन्दी में हस्ताक्षर करूंगा और आप भी हिन्दी में हस्ताक्षर करने का प्रयास करें। उन्होंने विश्वविद्यालय के न्यूज लेटर और स्टुडेण्ट क्लब ऑफ सिविल डिपार्टमेंट के लोगो ‘टेक्नोफिली’ का विमोचन भी किया।
मुख्य वक्ता विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री जयंत सहस्रबुद्धे ने कहा कि विश्वेश्वरैय्या हमेशा अपने ज्ञान का अधिकतम उपयोग देश-हित में करने के लिये चिंतित रहते थे। उन्होंने कहा कि पुरानी और नई इंजीनियरिंग को जोड़कर देश और विश्व को हम कुछ नया दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों की नकल करके हम आगे नहीं बढ़ सकते, क्योंकि नकल करने वाले हमेशा पीछे ही रहते हैं।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के प्रमुख सचिव श्री मनु श्रीवास्तव ने कहा कि उत्कृष्टता को न कभी संकट था न अभी है। उन्होंने कहा कि एक्सीलेंस की ओर जाने का प्रयास करें। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि अब इंटरनेट के माध्यम से हम छोटे कस्बे और गाँव में भी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
कुलपति श्री सुनील गुप्ता ने इंजीनियर श्री विश्वेश्वरैय्या की उपलब्धियों और उनके द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में विश्व-स्तर के क्लास-रूम बनाये गये हैं। उद्योगों से एलाइन कर रहे हैं। प्रोजेक्ट बेस लर्निंग पर जोर दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय में हिन्दी सेल भी बनाया गया है। श्री गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय को ऊँचाइयों तक ले जाने के लिये हर-संभव प्रयास करेंगे।
इस मौके पर ग्रीन एनर्जी सेंटर की स्थापना के लिये कुलपति और प्रमुख सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के बीच एमओयू भी किया गया।