स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के समुचित प्रबंध करें – कलेक्टर

स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के समुचित प्रबंध करें – कलेक्टर
स्कूल बसों में शासन के निर्देशों के अनुसार सुरक्षा प्रबंध करना अनिवार्य

रीवा 08 जुलाई 2024. स्कूल की बसों में बच्चों सुरक्षित आवागमन के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के परिपालन में शासन द्वारा विस्तृत निर्देश जारी किए गए थे। इन निर्देशों में बस ऑपरेटर, स्कूल प्रबंधन, शिक्षा विभाग, बच्चों के अभिभावक एवं पुलिस तथा परिवहन विभाग की भूमिका का निर्धारण किया गया है।

कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने कहा है कि सभी स्कूल बस संचालक तथा स्कूलों के प्राचार्य बच्चों के आवागमन के लिए उपयोग की जाने वाली बसों में सुरक्षा के समुचित प्रबंध करें। इस संबंध में शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का कठोरता से पालन सुनिश्चित करें। जिला परिवहन अधिकारी स्कूल बसों की नियमित जाँच करके निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करें। कलेक्टर ने बताया है कि शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार स्कूल बस पीले रंग में हों। बसों के आगे और पीछे बड़े व स्वच्छ अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना चाहिए। यदि स्कूल बस किराए की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालय सेवा में (आन स्कूल ड्यूटी) लिखा जाए। स्कूल द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठें। प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था रहे। बस की खिड़कियों में ग्रिल अनिवार्य रूप से लगाई जाए। प्रत्येक बस में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था रहे। बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बड़े अक्षरों में अवश्य लिखा जाए।
कलेक्टर ने कहा कि जारी निर्देशों के अनुसार स्कूल बस चलाने वाले चालक के पास भारी वाहन चलाने का न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। उसके द्वारा पूर्व में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन न किया गया हो। बस में वाहन चालक के अतिरिक्त बच्चों की सहायता के लिए अन्य वयस्क व्यक्ति तैनात रहे। यदि बस में केवल छात्राएं यात्रा कर रही हैं तो सहायिका की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। बच्चों के बैग रखने के लिए सीट के नीचे जगह होनी चाहिए। बसों में नियमानुसार दो दरवाजे तथा आपातकालीन खिड़की लगी हो। बस में गति नियंत्रक अर्थात स्पीड गवर्नर 40 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर निर्धारित किया हुआ होना चाहिए। बसों के दरवाजे पर लगे लॉक की स्थिति ठीक होनी चाहिए। स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम एवं सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य है। स्कूल बस में बीएलटीडी डिवाइस एवं पैनिक बटन लगाया जाना अनिवार्य है। स्कूल बस के चालक का हर 6 माह में नेत्र परीक्षण एवं स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य रूप से किया जाए। किसी भी शिक्षक अथवा पालक को बस में सुरक्षा मुआयना करने की दृष्टि से जाने की सुविधा होनी चाहिए।

जारी निर्देशों के अनुसार स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल के स्वामित्व की अथवा अनुबंधित स्कूली वाहनों में मापदण्डों की पूर्ति आवश्यक है। स्कूल प्रबंधन द्वारा ट्रांसपोर्ट मैनेजर की नियुक्ति की जानी चाहिए जो बच्चों के सुरिक्षत परिवहन के प्रबंधन को सुनिश्चित करें। स्कूल प्रबंधन स्कूल आने वाले विद्यार्थियों के स्कूल वाहन अथवा अन्य वाहन से आने का पूरा विवरण रखे। स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को स्कूल लाने ले जाने वाले समस्त वाहनों के आवश्यक दस्तावेजों जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, पुलिस वेरीफिकेशन, वाहन का रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, परमिट, बीमा, पीयूसी, प्रमाण पत्र का एक सेट आवश्यक रूप से रखें। वाहनों के निरीक्षण के दौरान इसे प्रस्तुत करें। स्कूली वाहन में एलपीजी से संचालित वाहन का प्रयोग सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत खतरनाक है। अत: स्कूल प्रबंधन द्वारा यह निगरानी रखी जाए कि स्कूल का कोई भी छात्र एलपीजी संचालित वाहन से स्कूल न जाए और ऐसा होने पर उसका दायित्व होगा कि इस संबंध में तत्काल पुलिस प्रशासन एवं परिवहन विभाग को सूचित किया जाए। ऐसा न करने पर दुर्घना की स्थिति में संपूर्ण जवाबदेही स्कूल प्रबंधन की होगी। स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक वाहन से निर्धारित सीट संख्या अनुसार बच्चों का परिवहन किया जाए। स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि बालकों को स्कूल परिसर के किसी सुरक्षित स्थान पर ही सीसीटीवी कैमरा की निगरानी में उतारा चढ़ाया जाए।
प्रत्येक स्कूल में स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों के क्रम में शाला परिवहन समन्वय समिति का गठन किया जाना आवश्यक है। छात्रों के परिवहन में उपयोग में लाए जाने वाले वाहन जारी गाइडलाइन का पालन अनिवार्य रूप से कर रहे है इस बात को सुनिश्चित करने का दायित्व स्कूल प्रबंधन का होगा। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही पर स्कूल प्रबंधन पर वैधानिक कार्यवाही की जा जायेगी।

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