सीएम हेल्पलाइन की धार कम करने का प्रशासकीय प्रयास
सीएम हेल्पलाइन की धार काम करने का प्रशासकीय प्रयास
मध्यप्रदेश की सीएम हेल्पलाइन सुविधा कमियों के साथ ही लेकिन लाभप्रद है। पीड़ित को लगा रहता है कि मेरी परेशानी सुनी जा रही है कम या ज्यादा उसमें कार्यवाही भी हो रही है। इस हेल्पलाइन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शिकायत लाख आनाकानी करने के बाद भी आखिर में उसी जगह पहुंच जाती है जहां उसे पहुंचना चाहिए क्योंकि टालमटोल की प्रशासनिक स्वभाव जो खुद तो अपना काम करना नहीं चाहता है दूसरे विभाग की समस्या अपने पास क्यों रखे जिसके चलते वह संबंधित विभाग तक शिकायत पहुंचा ही देते हैं और फिर जब शिकायत से जिम्मेदार विभाग और अधिकारियों तक पहुंच जाती है तो आखिरकार रो धो कर उसमें चाहे मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप तक की नौबत क्यों ना आए कार्यवाही होती है।
लेकिन अब परेशान होकर प्रशासनिक अधिकारी शिकायतों को जबरदस्ती बंद करने का प्रयास कर रहे हैं ।शिकायतें फर्जी नहीं होती परेशानी होने पर शिकायतकर्ता शिकायत करता है यह बात अलग हो सकती है कि उनका स्वरूप क्या है लेकिन समस्या को सुलझाने के बजाय उसको जबरदस्ती बंद करना प्रशासनिक नाकामी को दर्शाता है ।सबसे ज्यादा शिकायतें जो निराकृत नहीं होती है वह राजस्व विभाग की ही होती है और प्रशासनिक व्यवस्था में अंदर सबसे शक्तिशाली विभाग यही है क्योंकि उसका मालिक कलेक्टर रहता है ।
मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस हेल्पलाइन की धार कम न होने पाए क्योंकि यह सरकार के प्रति उत्पन्न आक्रोश को शांत करने के लिए प्रेसर रिलीज वाल्व है। पीड़ित को लगता है कि मैंने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की है तो कुछ न कुछ निराकरण तो होगा ही मेरी शिकायत में कोई न कोई तो कार्यवाही होगी ही। इसलिए किसी भी सूरत में इसकी धार कम नहीं होनी चाहिए। धार कम होने से यह हेल्पलाइन उद्देश्यहीन हेल्प लाइन हो जाएगी जो सरकार के लिए नुकसानदेह होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
31 अक्टूबर 2022
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