कृषि विविधीकरण के लगातार प्रयास करें – कृषि उत्पादन आयुक्त
रीवा 11 अक्टूबर 2022. प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेन्द्र सिंह ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से रीवा तथा शहडोल संभाग के कृषि आदान की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि रीवा तथा शहडोल संभागों में पिछले कुछ वर्षों में उद्यानिकी फसलों में शानदार वृद्धि दर्ज की गई है। सिंचाई की सुविधा बढ़ने से धान तथा गेंहू के क्षेत्राच्छादन एवं उत्पादन में वृद्धि हो रही है। कृषि विविधीकरण के लगातार प्रयास करें। किसानों को गेंहू तथा धान के स्थान पर सरसों, चना, मूंग, उड़द, अलसी तथा अन्य लाभकारी फसल लेने के लिये प्रेरित करें। कमिश्नर तथा कलेक्टर कृषि तथा इससे जुड़े विभागों की गतिविधियों की हर सप्ताह समीक्षा करें। कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, मछलीपालन तथा इससे जुड़ी अन्य गतिविधियां युवाओं को रोजगार देने के तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में कारगर सिद्ध होंगी।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रबी फसल के लिए सभी सहकारी समितियों में खाद का भण्डारण कराएं। रैक प्वाइंट से सीधे समिति को खाद पहुंचाने के लिए कंपनियों को अग्रिम में कार्यक्रम प्रस्तुत कर दें। इससे समय तथा परिवहन व्यय दोनों की बचत होगी। सतना जिले में शीघ्र ही रैक लगने वाली है जिससे आवश्यक मात्रा में खाद उपलब्ध हो जाएगी। संभाग के किसी भी जिले में खाद की कमी नहीं है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रीवा तथा शहडोल संभाग में डेयरी के विकास की अपार संभावनाएं हैं। संभाग के सभी पशुओं की टैगिंग तथा टीकाकरण कराकर ऑनलाइन शत-प्रतिशत जानकारी दर्ज करें। दुधारू पशुओं के नस्ल सुधार, मिल्क रूट एवं दुग्ध सहकारी समिति बनाने पर विशेष ध्यान देकर दूध का संकलन एवं वितरण बढ़ायें। दुधारू पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान में सार्टेड सीमेन के उपयोग को बढ़ावा दें। दुग्ध संघ सहकारी समितियां गठित कर दूध संकलन को बढ़ावा दें। पशुपालन विभाग कार्यशाला आयोजित कर किसानों को दुधारू पशुओं, मुर्गी पालन तथा बकरी पालन के लिये जागरूक करें। रीवा में 20 हजार लीटर क्षमता का प्लांट शुरू हो गया है। यहाँ दूध का संकलन बढ़ाने के लिए प्रयास करें। कलेक्टर पशुओं के नस्लसुधार कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दें।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि एक जिला एक फसल योजना के तहत रीवा तथा शहडोल संभाग के सभी जिलों के लिये फसलें निर्धारित कर दी गई हैं। इन फसलों के क्षेत्र विस्तार के लिये प्रयास करें। उद्यानिकी फसलों, मसालों तथा फूलों की खेती से किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। कलेक्टर विशेष रूचि लेकर इस योजना के तहत लक्ष्य के अनुसार प्रकरण तैयार कराएं। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। प्रत्येक जिले में कम से कम 50 प्रकरण स्वीकृत और वितरित कराएं। सब्जी उत्पादन में रीवा संभाग प्रदेश में प्रथम स्थान पर तथा फल उत्पादन में चौथे स्थान पर है।
बैठक में सभी बारहमासी तथा छ:मासी तालाबों में मछलीपालन कराने, निजी क्षेत्र में मछलीपालन को प्रोत्साहित करने एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लक्ष्य के अनुसार 30 नवम्बर तक शत-प्रतिशत प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिये गये। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने सहकारी बैंकों द्वारा दोनों संभागों में केवल 100 करोड़ रुपए का फसल ऋण दिया गया है। इसे आगामी फसल के लिए दुगना करें। सहकारी बैंक प्रबंधक लंबित ऋणों की वसूली के लिये अभियान चलायें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने मछली पालक तथा दुग्ध उत्पादक किसानों को केसीसी कार्ड देने के निर्देश दिये।
बैठक में सरसों की खेती के विस्तार, खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाने, धान उपार्जन के लिये व्यवस्था तथा कृषि यंत्रीकरण पर चर्चा की गई। बैठक में कृषि विविधीकरण, मुनगा के रोपण, मिलेट मिल की स्थापना तथा राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के संबंध में भी चर्चा की गई। बैठक में भाग लेते हुए रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी ने कहा कि बैठक में दिये गये निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जायेगा। संभाग में कृषि तथा उद्यानिकी के विकास के विशेष प्रयास किये जायेंगे। उद्यानिकी, मछली पालन तथा कृषि विभाग में अमले की कमी के कारण योजनाओं की लक्ष्य पूर्ति में कठिनाई आती है। कलेक्टर मनोज पुष्प ने बैठक में कहा कि रीवा जिले में मिलेट मिशन के तहत कोदौ, कुटकी तथा मक्का की लगभग 500 किसान खेती कर रहे हैं। वाटरशेड क्षेत्र में मुनगा एवं अन्य फलदार पौधों का रोपण कराया गया है। जिले में दो लाख 68 हजार मुनगा के पौधे रोपित कराए गए हैं।
कलेक्ट्रेट के एनआईसी केन्द्र से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े, संयुक्त संचालक कृषि एसके नेताम, उपायुक्त सहकारिता अशोक शुक्ला, उप संचालक कृषि यूपी बागरी, उप संचालक पशुपालन डॉ. राजेश मिश्रा, महाप्रबंधक जिला सहकारी बैंक ज्ञानेन्द्र पाण्डेय, प्रभारी संयुक्त आयुक्त सतीश निगम तथा अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।