तकनीक का इस्तेमाल पेंशनरों की सुविधा मे
तकनीक का इस्तेमाल पेंशनरों की सुविधा में
वर्तमान केंद्रीय सरकार टेक्नोलॉजी फ्रेंडली सरकार है होना भी चाहिए क्योंकि अगर आपको विश्व के साथ चलना है तो हो रहे विश्व स्तर में बदलाव को स्वीकार करना होगा। सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा उनके आश्रितों को मिलने वाली पेंशन के लिए नवंबर माह में पहले जीवित होने का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य था उसको दिसंबर तक कर दिया गया था अब इसमें सुधार करते हुए जिस माह मे सेवानिवृत्त हो उस पर भी दिया जा सकता है। बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति को जीवित प्रमाण पत्र देना किसी प्रताड़ना से कम नहीं था। पेंशनर तथा उसका परिवार दोनों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। जर्जर हालत में भी व्यक्ति को बैंक जाना पड़ता था ।राजपत्रित अधिकारी हर जगह मिल नहीं पाते थे जिससे वह प्रमाणित करा सके कि वह जीवित है। मुझे याद है 1997 की बात है एक फौजी जो विकलांग था उसको उसकी पत्नी व्हीलचेयर में लगभग 3 किलोमीटर बैंक लेकर जाया करती थी उसके साथ उसके परिवार का कोई न कोई और सदस्य रहता था उस समय तक एटीएम जैसी बात नहीं थी तो प्रतिमाह पैसे निकालने के लिए भी वह अपने पति को इसी तरह व्हीलचेयर पर बैठाकर बैंक जाया करती थी।
आज तकनीक का इस्तेमाल कर लोग मोबाइल से पैसे निकाल रहे हैं जमा कर रहे हैं एटीएम है ही। पिछले वर्षों में आधार तकनीक का इस्तेमाल करके पेंशनर जीवित होने का प्रमाण पत्र कियोस्क सेंटर या घर बैठे भी दे सकता था इसके लिए उसके फिंगरप्रिंट आना जरूरी था। लेकिन समय के साथ देखा गया कि बुजुर्गों की फिंगरप्रिंट स्कैनिंग में दिक्कत आती है लकीरे मिट चुकी होती हैं जिससे स्कैनिंग नहीं हो पाती है ऐसे बुजुर्गों के लिए यह सुविधा भी उपयोगी नहीं रह गई थी। इसके लिए इनका बैंक कर्मचारी के समक्ष जाना जरूरी हो जाता था वहीं जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा होता था। या कोई राजपत्रित अधिकारी प्रमाणित करके प्रमाण पत्र जारी करेगा और इस पत्र को जमा करने के लिए परिवार का कोई सदस्य बैंक जाए ।इसी बीच स्मार्ट फोन में वीडियो कॉलिंग आदि की सुविधा आ गई मैंने इस विषय पर लिखा था कि इस तकनीक का इस्तेमाल से पेंशनरों के जीवित प्रमाणन के लिए किया जा सकता है ।जो चलने फिरने में असमर्थ हैं जिनको बैंक लाना बड़ा ही तकलीफ देय होता है ।अब यह सुविधा हासिल हो चुकी है। वर्तमान केंद्र सरकार ने तकनीक का इस्तेमाल इस अच्छे कार्य के लिए कर लिया है। इन्होंने गूगल प्ले स्टोर में ऐप जीवन प्रमाणन जारी किया है इसको डाउनलोड करके उसके बताए अनुसार प्रक्रिया का अनुसरण करके घर बैठे ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों या परिवार पेंशन पाने वाले बुजुर्गों का जीवन प्रमाणन किया जा सकता है।
काफी सरल प्रक्रिया है सुरक्षित भी है। यह प्रक्रिया आधार सुविधा से जुड़ी है तथा बैंक में दिया मोबाइल नंबर तथा आधार नंबर लिंक होना चाहिए क्योंकि सारा कार्य ओटीपी प्रक्रिया आधारित है। इस तकनीक की सुविधा का लाभ लेने से लाखों पेंशनरों को लाभ हुआ है ।उन्हें कष्ट से मुक्ति मिली है। सरकार की यह सुविधा स्वागत योग्य है। सरकार इसके लिए धन्यवाद की पात्र हैं। यह सुविधा बीमार बुजुर्गों के लिए वरदान है। तकनीक का सही इस्तेमाल, विज्ञान के वरदान होने की ऐसे ही उदाहरण होते हैं जिसके लिए वर्तमान केंद्र सरकार कृत संकल्पित है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू ”
31 जुलाई 2022
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