भारत और भारतीयता के गौरव का प्रतीक होगा नया संसद भवन

गुरुवार 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नए संसद भवन का भूमि पूजन कर दिया ।

बरसों से मैंने लोगों के मुंह से सुना है कि भारत में तो  सब कुछ अंग्रेजों के समय का बना है। स्वतंत्रता के बाद भारत में बनाया ही क्या है ?  लोगों की बात अब जाकर गलत हो रही है भारत को अपना नया संसद भवन मिल रहा है पुराने से बेहतर और बड़ा।

लेकिन विघ्न संतोषी अभी से रोने लगे हैं। इनका रोना हमेशा रहता  है कुछ  करो तो रोएंगे कुछ न करो तो रोएंगे ऐसा ही रोना विपक्ष और मतिभ्रष्ट लोगों के द्वारा प्रारंभ हो गया है। उनका कहना है कि देश में मंदी है, रोजगार नहीं है ऐसे मे नया संसद भवन बनाना फिजूलखर्ची  है। अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए कि इस निर्माण से श्रम का सृजन होगा, रोजगार मिलेगा मंदी दूर होगी और सबसे बड़ा काम होगा कि देश अपनी नई जरूरतों के हिसाब से अपना नया संसद भवन पाएगा।

कुछ निर्माण कार्य रहते तो करोड़ों के है लेकिन उनके लाभ को पैसे से नहीं नापा जा सकता है और यह नवीन संसद भवन का निर्माण कुछ ऐसा ही है।

नरेंद्र मोदी सरकार के लगभग सभी कार्य जो मेरी जानकारी में है भारतीयता के सम्मान को स्थापित करने और बढ़ाने वाले हैं।

मोदी सरकार भारत को एक सूत्र में सही ढंग से बांधने का कार्य कर रही है पहले केवल कागजों में दिखावा होता था लेकिन आज अमलीजामा पहनाया है जा रहा है ।यह बात नवीन संसद भवन के भूमिपूजन मे भी देखी गई। उत्तर भारत में हो रहे निर्माण के लिए दक्षिण भारत के पुरोहितों को बुलाया गया था। पुरोहितों ने पूरे विधि विधान से पूजन  कार्य संपन्न कराया तो सभी धर्म के गुरुओं ने अपने आशीर्वचन कहे जिससे नव निर्माण  भारत के लिए कल्याणकारी और मंगलकारी हो।

नया संसद भवन पुराने से बड़ा और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। यह संसद भवन 64500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाया जा रहा है जो 4 मंजिला होगा इसके निर्माण में 971 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च है। इसका निर्माण 2022 तक पूर्ण कर लेना है जिससे देश अपनी स्वतंत्रता की  75 वीं वर्षगांठ के समय  इस नये संसद भवन से प्रगति पथ पर अग्रसर हो।  संसद भवन के निर्माण का कार्य टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को मिला है इसके निर्माण में 21 माह लगेंगे। इसमे  लोकसभा सांसदों के लिए 888 सीटें और राज्यसभा सांसदों के लिए 326 सीटों की व्यवस्था बनाई गई है और पार्लियामेंट हाल में जब दोनों का संयुक्त अधिवेशन हो तो 1224 सदस्य एक साथ बैठ सके ऐसी व्यवस्था बनाई जा रहा है।

यह नया भवन भारत के गौरव का प्रतीक बनेगा अब इस नए भवन से नए भारत के  निर्माण कार्यों की रूपरेखा तैयार होकर धरातल में उतरेगी ।इन निर्माण कार्यों से ऐसे भारत का निर्माण होगा जहां प्रत्येक नागरिक गौरवान्वित महसूस करेगा।

अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू ”

12 दिसंबर 2020

 

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