देशी गाय के संरक्षण के लिए सरकार का सराहनीय प्रयास
देसी गाय के संरक्षण के लिए सरकार का सराहनीय प्रयास
मध्य प्रदेश सरकार ने देसी गाय के संरक्षण के लिए ₹900 प्रतिमाह मानदेय देकर यह अच्छा कदम उठाया है ।गाय भारत की सनातन परंपरा का एक अटूट अंग है यह अलग बात है कि आज देसी गाय सबसे ज्यादा दुत्तकारी जाती है। जब सबकुछ बाजार आधारित हो तो दूध की शुद्धता नहीं उसमे मात्रा देखने के बात आ ही जाती है ।उस समय देसी गाय नहीं ऐसी गाय को प्राथमिकता दी जाती है जो किसी भी तरह से दूध ज्यादा दें उसकी गुणवत्ता चाहे जो भी हो। प्रत्येक जीव अपने आपको वातावरण के अनुरूप विकसित कर लेता है देसी गाय के साथ भी यही है जो देसी गाय हमारी प्रकृति के साथ विकसित है इसलिए इसका दूध, मूत्र, गोबर सब उपयोगी है। दूध का भोजन में तो मूत्र और गोबर का औषधि कार्यों में। यह ईधन के रूप में उपयोग होता है और हवन कार्य में भी उपयोगी है। ज्यादा दूध देने वाली नस्ल को जो लोग भी पालते हैं वो इसके लिए व्यवस्था और खर्चा करते हैं। लेकिन देसी गाय मारे मारे फिरती है। वैसे देखा जाए तो देसी गाय सभी मामलों में किफायती है लाभप्रद है लेकिन विज्ञापन विदेशी का ऐसा है कि लोगों को वही दिखता है जो विज्ञापन दिखाता है ।देशी गाय देखने में भी बड़ी सुंदर दिखती है मनभावन होती है मन को सुकून पहुंचाने वाली होती हमारे प्यार को समझने वाली होती है इसके बछड़ी बछड़े बड़े सुंदर दिखते हैं इनका आसपास में खेलना किसी भी चिकित्सा से कम नहीं है लेकिन दूध देने के मामले में विदेशी से पिछड़ जाती है । वैसे देशी गायों की भी ऐसी प्र जातियां हैं जो विदेशी से ज्यादा दूध देती हैं। आवारा मवेशी में सबसे ज्यादा देसी गाय ही रहती है ऐसे में इनके संरक्षण के लिए प्रतिमाह ₹900 गोपालन के लिए देना सरकार का एक सराहनीय कदम है। साल में 10800 तथा प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए सहायक। सरकार प्राकृतिक कृषि पर 75% अनुदान देती है जीवामृत, घनजीवामृत के गोबर गोमूत्र मुख्य घटक हैं । देशी गाय के संरक्षण से विष मुक्त खेती हो और अपनी सनातन संस्कृति संवहन मे देसी गाय का संरक्षण हो सरकार इस कार्य के लिए नौजवानों को रोजगार भी देख रही है। किसान मित्र और किसान दीदी बनाकर।जो किसानों को विषमुक्त खेती के लिए मदद करेंगे। मध्य प्रदेश सरकार का कुल मिलाकर यह देसी गाय संरक्षण का प्रयास सराहनीय है केवल इसके सुचारु संचालन की जवाबदेही शासन प्रशासन तथा गोपालक की बनती है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू ”
7 मई 2022
Facebook Comments