वन क्षेत्रों में मनोरंजन और वन्य-जीव अनुभव क्षेत्र विकसित होंगे

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वन (मनोरंजन एवं वन्य-प्राणी अनुभव) नियम, 2015 की अधिसूचना जारी

राज्य शासन ने वन क्षेत्रों में ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन (मनोरंजन एवं वन्य-प्राणी अनुभव) अधिनियम, 2015 की अधिसूचना जारी कर दी है। ये नियम आरक्षित वन्य-प्राणी (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में अधिसूचित अभयारण्य अथवा राष्ट्रीय उद्यान में सम्मिलित आरक्षित वन क्षेत्र को छोड़कर सम्पूर्ण राज्य में लागू होंगे।

इसमें संभागीय वन अधिकारी अब मनोरंजन क्षेत्र या वन्य-प्राणी अनुभव क्षेत्रों को विकसित करेंगें। यहाँ रोड सफारी, जल विहार, स्वल्पाहार केन्‍द्र, केंपिंग सुविधाएँ आदि विकसित की जा सकती हैं। पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क रखा गया है। पालकों के साथ भ्रमण पर पाँच वर्ष तक आयु के बच्चों से कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा।

वन्य-प्राणी अनुभव क्षेत्र में पैदल, साइकिल भ्रमण अथवा दो पहिया वाहन या बस द्वारा प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। वन्य-प्राणी अनुभव क्षेत्र के लिए 16 जून से 30 सितम्बर तक की अवधि प्रतिबंधित रहेगी। इसी प्रकार वन्य-प्राणी अनुभव क्षेत्र में केंपिंग की अनुमति नहीं होगी। सूर्योदय से पहले तथा सूर्यास्त के बाद अनुभव क्षेत्र में रोड सफारी एवं वाटर क्रूज की अनुमति नहीं होगी।

वनों तथा वन्य-प्राणियों के रहवास के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी को देखते हुए प्राप्त होने वाली आय मनोरंजन क्षेत्र के भीतर वनों की सुरक्षा एवं विकास, मनोरंजन सुविधाओं के विकास एवं रख-रखाव के साथ ही स्थानीय समुदाय के कल्याण पर व्यय की जाएगी।

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