विश्व स्तनपान सप्ताह प्रारंभ छ: माह तक के बच्चे को पिलायें माँ का दूध
रीवा 01 अगस्त 2020. महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक संचालक आशीष द्विवेदी ने बताया कि बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए इस वर्ष भी आज एक अगस्त से सात अगस्त तक जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह आयोजित कर माताओं को जागरूक किया जा रहा है कि जन्म के तुरन्त पश्चात वे अपने बच्चों को अनिवार्य रूप से माँ का दूध पिलायें। प्रीलैक्टियल फीडिंग से बच्चा स्वस्थ रहता है और उसके कुपोषित होने की संभावना बहुत ही कम होती है।
सहायक संचालक श्री द्विवेदी ने बताया कि शिशु को जन्म के पहले छ: माह में केवल स्तनपान कराना चाहिए। माँ के दूध में सभी आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह बच्चों को दमा, एनर्जी, दस्त रोग और निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाता है। बच्चों के मानसिक एवं भौतिक विकास में सहायक होता है। माँ का दूध आसानी से पच जाता है। माँ का दूध बच्चे की मांग के अनुसार हमेशा उपलब्ध रहता है एवं माँ एवं शिशु के बीच प्यार भरा रिश्ता बनाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जन्म लेने वाले 14 लाख बच्चों में से केवल 4.8 लाख बच्चों को ही जन्म के तुरन्त बाद जीवन रक्षक खीस (कोलस्ट्रम) मिलता है। 9.2 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। जन्म के 24 घंटे के बाद स्तनपान शुरू कराने से बच्चों के मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। स्तनपान एवं ऊपरी आहार से शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी लायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक कुरीतियों के कारण जन्म के तुरंत पश्चात मां का दूध बच्चों को न पिलाकर फेक दिया जाता है। इससे बच्चे कमजोर हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए विश्व स्तनपान सप्ताह आयोजित किया जा रहा है। विभाग द्वारा डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 6 माह तक केवल स्तनपान विषय पर एक बैनर पंचायत भवन पर लगाया जायेगा। इस बैनर में स्थानीय युवक अपने हस्ताक्षर करके अपनी सेल्फी लेकर वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। यह प्रतियोगिता 15 से 31 अगस्त तक आयोजित की जायेगी। प्रत्येक जिले से एक सर्वश्रेष्ठ सेल्फी को पुरस्कृत किया जायेगा एवं विजेता को दो हजार रूपये का नगद पुरस्कार दिया जायेगा। इसके साथ ही अभियान चलाकर महिलाओं एवं माताओं को जागरूक किया जायेगा कि वे जन्म के तुरंत बाद एक घण्टे के अंदर अपने बच्चे को स्तनपान करायें तथा जन्म के 6 माह तक बच्चे को ऊपरी आहार न देकर माँ का दूध ही पिलाया जाये। किशोरी बालिकाओं द्वारा दीवार लेखन एवं अंतिम त्रैमास की गर्भवती महिलाओं के घर जाकर जन्म के एक घण्टे के अंदर स्तनपान की समझाइश दी जायेगी। इस संबंध में स्वसहायता समूह की सदस्यों से चर्चा कर सदस्यों को बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु फ्रेंडशिप बैंड बाधा जायेगा।