बघेलखंड की धरा पर जीवंत हुई लोककला व संस्कृति

10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का सांसद श्री जनार्दन मिश्र, विधायक श्री राजेन्द्र शुक्ल व महापौर श्रीमती ममता गुप्ता ने किया उद्घाटन
रीवा, 20 अक्टूबर। भारतीय संस्कृति लाखों साल बाद भी जीवंत बनी हुई है, देश ही नहीं विदेशों में सैकड़ों साल से बसे भारतीय भी इससे जुड़े हुए हैं, इसका प्रमुख कारण यह है कि हमारी परम्पराएं और संस्कृति न सिर्फ धर्म ग्रंथों के माध्यम से हमें जोड़े हुए हैं, बल्कि यह गीतों, फाग, आल्हा जैसी क्षेत्रीय गायन शैली के माध्यम से भी हमारे जीवन में रची बसी है। उक्त उद्गार मुख्य अतिथि रीवा सांसद श्री जनार्दन मिश्र ने शासकीय ठाकुर रणमत सिंह काॅलेज मैदान, ध्यानचंद स्टेडियम, सिविल लाइन, रीवा में आयोजित 10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के माध्यम से विंध्यभूमि में एक बार फिर लोक संस्कृति जीवंत हो उठी है। श्री मिश्र ने इस आयोजन के लिए केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री श्री प्रहलाद पटेल का आभार जताया। इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष महापौर ममता गुप्ता ने कहा कि संस्कृति महोत्सव का यह मंच न सिर्फ हुनर को निखारेगा बल्कि क्षेत्रीय कलाकारों को नई पहचान देगा। इस मौके पर रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि युवा पीढ़ी अपनी लोक कलाओं और संस्कृति को सहेजकर रखे, यही भारतीयता का मूल है।
महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद श्री जनार्दन मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर अतिथियों ने कहा कि यह गौरव की बात है कि देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक महोत्सव की मेजबानी का मौका रीवा को मिला है। इस अवसर पर सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी, रीवा रियासत के श्री पुष्पराज सिंह, जिला पंचायत उपाध्यक्ष विभा पटेल सहित संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख अधिकारीगण मौजूद रहे।
निर्गुण एवं कबीर भजनों से आगे बढ़ा सफर
कार्यक्रम की शुरूआत निर्गुण व कबीर के भजनों से हुई। माटी के लाल की श्रंखला में मालवा के लोकगायक श्री भैरोसिंह चैहान की यह प्रस्तुति श्रोताओं का मन मोह गई। सफर आगे बढ़ा लोक कलाकरों की सामूहिक प्रस्तुति के साथ, जिसमें कोरियोग्राफर प्रसन्ना गोगोई के निर्देशन में क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के कलाकारों ने मंच पर पूरे भारत की संस्कृति के दर्शन कराए। कार्यक्रम के अगले पड़ाव में श्रीमती अनुराधा पाल एवं समूह की जुगलबंदी भी यादगार रही। श्रीमती गीता महालिक एवं समूह द्वारा ओडीसी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। दिल्ली से आए कलाकार श्री श्रीधर का वायलिन वादन भी महोत्सव का यादगार हिस्सा बना। महोत्सव के पहले दिन की पूर्णता पाश्र्व गायिका मालिनी अवस्थी की संगीतमयी प्रस्तुति के साथ हुई। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में क्षेत्रीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुति देखने बड़ी संख्या में लोग ध्यानचंद स्टेडियम में पहंुचे।
हस्तशिल्प मेले में 1 करोड़ रूपऐ की रिकाॅर्ड बिक्री
ध्यानचंद स्टेडियम में चल रहे हस्तकला एवं शिल्प मेला रीवा वासियों को इतना पसंद आया कि उन्होंने यहां दिल खोलकर खरीददारी की। इसका परिणाम यह रहा कि मेले में दो दिन के अंदर ही रिकाॅर्ड एक करोड़ रूपए की बिक्री हो गई। हस्तशिल्प मेले में शहरवासियों को हस्तशिल्प की नायाब चीजें खरीदने को मिल रही हैं। दीपावली के मौके वह यहां से घर के लिए सजावटी सामग्री तथा नेचुरल रंगों से तैयार आकर्षक डिजाइन की साड़ियां, कुर्ते, बच्चों के कपड़े, राजस्थानी जूतियां, आर्टिफिशियल ज्वेलरी सहित अन्य उपयोगी सामग्री खरीद रहे हैं। मेले में बेंत, बाँस, शीतलपट्टी, आभूषण, कपड़ा, हस्तशिल्प, ड्राय फ्लॉवर, सी शाल, अजरक प्रिंट, बीड वर्क, पटोला साड़ी, कच्छ एम्ब्राॅयडरी, कपूर बेल, गुजरात, लाख बेंगल्स, टेराकोटा आदि लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। रीवा वासियों का कहना था कि शहर में अपनी तरह का यह पहला अनूठा आयोजन है।

देेशी लजीज व्यंजनों का उठाया लुत्फ
मेले में लोगों ने गीत संगीत और खरीददारी का आनंद लेेने के साथ ही देशी व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया। यहां हरियाणा की जलेबी, राजस्थान की चाट और चूरमा लड्डू, पंजाबी छोले-भटूरे, बनारस की चाट, गुजराती फाफड़ा जलेबी का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया है।
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रहलाद पटेल आज करेंगे समापन
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित 10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का समापन 21 अक्टूबर, सोमवार को केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार श्री प्रहलाद सिंह पटेल करेंगे। इसके साथ ही महाकोशल क्षेत्र में संस्कारधानी जबलपुर से शुरू हुए आठ दिवसीय मेले का सफर बुंदेलखंड की वीर भूमि सागर से होते हुए विंध्यक्षेत्र के रीवा शहर में जाकर पूरा होगा। यह महोत्सव अपने अनूठे प्रदर्शनों के चलते न सिर्फ तीन संभागों की जनता बल्कि प्रदेश वासियों के लिए यादगार साबित हो रहा है।
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